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रूपरेखा : प्रस्तावना - मेरा प्रिय खिलाड़ी कौन है - उन्हें बचपन से ही क्रिकेट की चाह - भारतीय टीम में उनकी जगह - महसूर बल्लेबाज - उनके अनेक गुण - उपसंहार।
परिचय | मेरा प्रिय खिलाड़ी की प्रस्तावना-विश्व खेलों के दुनिया में भी आगे बढ़ने लगा है। आज विश्व में कई खेल खेले जाते है और सभी खेल की अपनी एक महत्ता है। आज खेल की दुनिया में क्रिकेट चमक रहा है। चारों तरफ बस क्रिकेट की आवाज गूंज रही है। वैसे देखा जाए तो महानता के फूल प्रत्येक क्षेत्र में खिलते हैं। खेलों की दुनिया में भी अपनी खुशबू फैलाने वाले लाजवाब फूलों की कमी नहीं है। जैसे आम को फलों का राजा कहा जाता है उसी तरह भारत देश में क्रिकेट को खेलो का राजा कहा जाता है।
आज क्रिकेट जगत के महकते फूलों में सचिन तेंडुलकर एक बहुत ही लोकप्रिय नाम है और मेरे प्रिय खिलाडी भी वही है। सचिन के बिना भारतीय टीम अधूरी लगती है। पाँच फुट चार इंच के छोटे कद का यह खिलाड़ी नित नई ऊँचाइयाँ सर करता जा रहा है। यही सचिन मेरा प्रिय खिलाड़ी है। सचिन सभी लोगो के इतने प्रिय है कि उन्हें क्रिकेट का भगवान भी कहते हैं।
सचिन का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में हुआ था। क्रिकेट के प्रति उसमें बचपन से ही रुचि थी। तीन-चार वर्ष का नन्हा सचिन घर के आँगन में ही क्रिकेट खेला करते थे। बल्लेबाज वह खुद थे और गेंदबाजी उनकी माँ करती थी। उनके क्रिकेट खेल का शुरुआत यहीं से हुआ। विद्यालय में पढ़ते समय वहाँ की टीम में उन्होंने जल्द ही अपनी जगह बना ली। गुरु रमाकांत आचरेकर से उन्होंने क्रिकेट का गहरा प्रशिक्षण लिया। अंतर्विद्यालयीन क्रिकेट स्पर्धाओं में उन्होंने अनेक बार खुलकर अपने करतब दिखाए। रणजी मैचों में भी उन्होंने शतक पर शतक लगाए। इस तरह वह क्रिकेट-विशेषज्ञों की नजरों में चढ़ गया।
सन 1989 में सचिन को भारत की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया। मात्र 16 वर्ष के उम्र में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला। तब से आज तक वह भारतीय क्रिकेट दल का सितारा बल्लेबाज बने हुए है। टेस्ट मैचों में उन्होंने 51 शतक बनाए हैं। एक दिवसीय मैचों यानी ODI मैच में उन्होंने 49 शतक बनाए है। एक दिवसीय मैचों में मार्च 2008 तक सबसे पहले 16000 से अधिक रन बनाने वाले वह दुनिया का पहला खिलाड़ी है।
सचिन देखते-देखते महसूर बल्लेबाज बन गए। उनकी बल्लेबाजी देखते ही बनती है। वह हर गेंद को बड़ी खूबी से पीटते है। उनके चौके और छक्के दर्शकों का मन मोह लेते हैं। मैदान का ऐसा कोई कोना नहीं जहाँ उनका बल्ला गेंद को न भेजता हो। सचिन को आउट करने की विपक्षी गेंदबाजों की सभी तरकीबें विफल हो जाती हैं। कई बार तो ओवर ख़तम हो जाती थी परन्तु वे आउट नहीं होते थे यानी की नॉट आउट रहते थे। उनकी बल्लेबाजी के देश में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में दीवाने थे। देश-विदेश में हर जगह उनकी बल्लेबाजी की सरहाना किया करते थे।
सचिन एक महान खिलाड़ी ही नहीं, एक सज्जन व्यक्ति भी है। वह पूरी ईमानदारी से अपना आयकर चुकाता है। प्रसिद्धि और पैसों ने उसे अभिमानी नहीं बनाया है। उसके चरित्र और व्यवहार के बारे में कभी कोई शिकायत सुनने में नहीं आई। उच्च कोटि का बल्लेबाज होने के साथ ही वह एक चतुर गेंदबाज भी है। एक दिवसीय मैचों में वह एक सौ चौवन (154) विकेट ले चुके है। क्षेत्र-रक्षण में भी उनकी चुस्ती-फुर्ती देखते बनती है। स्व. डॉन ब्रैडमेन के शब्दों में सचिन ‘क्रिकेट जगत की एक जादुई वास्तविकता है।
सचमुच, सचिन क्रिकेट का बेताज बादशाह है। उसने कई नए रेकार्ड बनाये है। वह भारत का गौरव है। उन्होंने 39 वर्ष की उम्र में क्रिकेट जगत से रिटायरमेंट ले ली। जब भी सचिन मैदान में खेलने के लिए उतरते थे तो स्टेडियम में चारों तरफ बस 'सचिन' 'सचिन' गूंजना शुरू हो जाता था। आज सचिन की लोकप्रियता सबसे अधिक है। अपने कड़ी मेहनत और लगन से अपना नाम इतिहास के पन्नों में अंकित करने वाले यह खिलाड़ी ही मेरा प्रिय खिलाड़ी है।
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