ADVERTISEMENT
रूपरेखा : प्रस्तावना - मेरा प्रिय त्योहार - प्रिय त्योहार का परिचय - कब मनाया जाता यह त्यौहार - मनाने की विधि - प्रिय त्यौहार का महत्व - ऐतिहासिक महत्व - यह त्यौहार इतना प्रिय क्यों है - उपसंहार।
प्रस्तावना-हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जहाँ पूरे साल अलग अलग त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्यौहार अथवा पर्व सामाजिक मान्यताओं, परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित होते हैं । यहाँ आये दिन कोई-न-कोई त्यौहार पड़ता ही रहता है।
त्यौहार जैसे होली, दीवाली, रक्षाबंधन, दशहरा आदि हमारे देश के मुख्य त्योहार हैं। इन सभी त्योहारों में रक्षाबंधन का त्योहार मुझे सबसे अधिक प्रिय है। साल में एक बार आने वाला यह त्यौहार मेरे जीवन में खुशियां भर देती है।
यह त्योहार भाई-बहन के शुद्ध और नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। भाई-बहन के पवित्र प्रेम के साथ ही इसमें जो सादगी है, वह दूसरे किसी त्योहार में नहीं है। दीवाली में दीयों की रोशनी होती है। होली में रंग और गुलाल की धूम मच जाती है। दशहरे के दिन भी बड़ी धूमधाम होती है, लेकिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए पवित्र हार्दिक प्रेम के सिवा अन्य किसी भी चीज की जरूरत नही पड़ती ।
राखी का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता है। उस समय मौसम बहुत सुहावना होता है। आकाश में बिजली मानो अपने भाई बादलों को राखी बाँधने के लिए अपनी अधीरता प्रकट करती दिखाई देती है। यह त्योहार हर भाई को अपनी बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है। बहन भाई को प्यार से राखी बाँधती है और भाई मन-ही-मन अपनी बहन की रक्षा की जिम्मेदारी स्वीकार करता है। राखी से भाई-बहन के बीच स्नेह का पवित्र बंधन और भी मजबूत हो जाता है।
अभी तक लोग यही मानते आए हैं कि अबला (नारी) होने के नाते नारी (लड़की) राखी बाँधकर अपनी रक्षा का भार भाई पर डालती है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है। वह केवल एक राखी नहीं होता बल्कि भाई की रक्षा का कवच होता है जो हर बहन अपने भाई को राखी बांध कर करती है। राखी बांधने के बाद बहन भाई को मिठाई खिलाती है और बदले में भाई अपनी बहन को ढेर सारी उपहार देता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार राखी बाँधकर अपनी रक्षा का भार भाई पर डालती है। किंतु वास्तव में वह भाई को केवल अपनी रक्षा का ही नहीं, बल्कि सारी नारीजाति की रक्षा का भार सौंपती है। राखी बाँधकर वह अपने भाई को शक्ति और साहस का मंत्र देती है और उसके कल्याण की कामना करती है। इसलिए ऐसे पवित्र त्योहार को उत्साह और आनंद से मनाना चाहिए। और यही रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार का महत्व को दर्शाता हैं।
चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर उसे अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के समय बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ पहुँच गया था। हुमायूँ ने गुजरात के बादशाह बहादुरशाह के साथ युद्ध करने का निश्चय किया। यह राखी की ही शक्ति थी कि हुमायूँ ने खुद मुसलमान होकर भी हिन्दू नारी के सम्मान की रक्षा के लिए एक मुसलमान बादशाह से युद्घ किया।
मेरी बहन मुझसे दूर रहती है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन वह जब हमारे घर आती है, तब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। बचपन की स्मृतियाँ उमड़ पड़ती हैं और खुशी के मारे आँसू निकल पड़ते हैं। यह वो दिन होता है जब बहन भाई से बेहिचक कुछ भी मांग सकती है और भाई को वो मांग पूरी करनी पड़ती है। यह दिन मुझे मेरे बहन के प्रति कर्तव्य का आभास दिलाता है। बहन की ममता और उसका भाई के प्रति रक्षा की भगवान से प्राथना करना ये अपने आप में इस त्यौहार का महत्व बताता है। इसीलिए मुझे यह त्यौहार अति प्रिय है।
बहन की ममता, स्नेह और मंगल भावनाएँ मुझे नवजीवन प्रदान करती हैं। मुझे अनोखे आनंद का अनुभव होता है। रक्षाबंधन का त्योहार भैया, मेरे राखी के बंधन को न भुलाना' कहने वाली बहन की याद हमेशा तरोताजा बनाए रखता है। बहन की उसके भाई के प्रति रक्षा की भगवान से प्राथना करना और भाई का बहन की आजीवन रक्षा करने का वादा करना सचमुच ये अपने आप में भाई-बहन का अनोखा रिश्ता के महत्व को बताता है। इसलिए यह मेरा प्रिय त्योहार है।
ADVERTISEMENT