शिक्षा का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Education in Hindi - Shiksha ka Mahatva in Hindi Essay - Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi - Shiksha ka Mahatva par Nibandh

ADVERTISEMENT

रूपरेखा : प्रस्तावना - शिक्षा क्या है - व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षा का महत्व - नैतिक, मानसिक और शारीरिक दृष्टियों से स्वावलंबी बनाता है - मानव जीवन के प्रमुख सोपान - काम और मोक्ष प्राप्ति में शिक्षा का महत्व - जीवन को सही ढंग से जीने की योग्यता में शिक्षा का महत्व - उपसंहार।

परिचय / शिक्षा का महत्व

उचित शिक्षा सभी के लिए आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने का एक मात्र मूल्यवान संपत्ति है जो मनुष्य प्राप्त कर सकता है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में वह पड़ाव है जिससे हर व्यक्ति को पार करना चाहिए क्योंकि यह सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। शिक्षा प्रणाली को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को और देश के युवाओं को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।


शिक्षा क्या है / शिक्षा की परिभाषा / शिक्षा किसे कहते हैं / शिक्षा का अर्थ

शिक्षा को हम एक शब्द में बयान नहीं कर सकते है। शिक्षा हमारा जीवन है जो हमें जीना सिखाती है। शिक्षा सभी के जीवन में सकारात्मक विचार लाकर नकारात्मक विचारों को हटाती है। शिक्षा विकास का वह क्रम है, जिससे व्यक्ति अपने को धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार से अपने भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण में खुद को अनुकूल बना लेता है। जीवन ही वास्तव में शिक्षा है। शिक्षा की पहली शुरुवात बाल शिक्षा से होती है जो कि हम घर में सीखते है। शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ, पापा और घर में उपस्थित सभी लोगों से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता ही सर्वप्रथम जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं।


व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षा का महत्व

विद्याविहीन पशु को ज्ञान का तृतीय नेत्र प्रदान कर विवेकशील बनाना, उसमें अच्छे - बुरे की पहचान तत्पन्न करना, कायदे-कानून की समझ प्रदान करना तथा जीवन में सर्वांगीण सफलता और सम्पन्नता प्रदान करने के लिए संस्कार और सुरुचि के अंकुर उत्पन्न कर उसके व्यक्तित्व निर्माण में ही शिक्षा का महत्त्व है। अम्पूर्णानन्द जी के शब्दों में, 'मन और शरीर का तथा चरित्र के भावों के परिष्कार में ही शिक्षा का महत्त्व है। शरीर और आत्मा में अधिक से अधिक सौन्दर्य और सम्भावित सम्पूर्ण का विकास सम्पन्न करने में ही शिक्षा का महत्त्व है।


नैतिक, मानसिक और शारीरिक दृष्टियों से स्वावलंबी बनाता है

मानव-जीवन आद्योपांत कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि है। कौतृहल, विचित्रता और जटिलताओं से परिपूर्ण होने के कारण इसका पथ तमसाच्छन्न है। द्वन्द्द और संघर्ष ही इस रज:पूर्ण पथ की नियति है। इस नियति की विजय पर शिक्षा की महिमा टिकी है। शिक्षा मानव को विषय विशेष का ज्ञाता बनाने के अतिरिक्त नैतिक, मानसिक और शारीरिक, सभी दृष्टियों से कर्मठ, योग्य, सदाचारी, समर्थ तथा स्वावलम्बी बनाती है। शिक्षा का महत्त्व परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता उत्पन्न करना है। शिक्षा का महत्त्व मानव जीवन के लिए वैसा ही है जैसे संगमरमर के टुकड़े से मूर्ति बनाने के लिए शिल्पकला का। फलत: शिक्षा केवल ज्ञान-दान नहीं करती, संस्कार और सुरुचि के अंकुरों का पालन भी करती है। डा. हरिशंकर शर्मा शिक्षा का महत्त्व मानवता का मार्गदर्शन, मन वचन-कर्म में शुचिता-समता लाना, तन-मन-आत्मा को विमल बनाना तथा ज्ञान-विज्ञान का मर्म महत्व बताने में मानते हैं। वस्तुत: अपने को जीवित रखने के लिए अपने वातावरण तथा उसकी सापेक्षता में निज को समझकर जीवन के अनुकूल कार्यों को करना और प्रतिकूल के निवारण में ही शिक्षा का महत्त्व है।


मानव जीवन के प्रमुख सोपान

भारतीय मनुष्यों ने मानव जीवन के चार सोपान माने हैं जो कि धर्म, अर्थ, काम ओर मोक्ष है। इनको पुरुषार्थ की संज्ञा से अभिहित किया गया है। इन चारों पुरुषार्थों पहला पुरुषार्थ है धर्म। जीवन में सफलतापूर्वक धर्म के निर्वहन में ही शिक्षा का महत्त्व है। धर्म आत्मा और अनात्मा का, जीवात्मा और शरीर का विधायक है। संस्कार जीवात्मा और शरीर का विकास करता है। धर्म से मनुष्य में सदगुणों के संस्कार उत्पन्न होते हैं। धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय-निग्रह, धी, विद्या, सत्य और अक्रोध वृत्तियाँ पल्लवित होती हैं। नैतिकता का पदार्पण होता है। अत: सच्चे धर्म का ज्ञान उत्पन्न करने में ही शिक्षा का महत्त्व है।

दूसरा पुरुषार्थ है अर्थ। अर्थ धन का पर्याय है! कार्लमार्क्स ने सच कहा है, 'मानव के सम्पूर्ण सामाजिक कार्यों के केन्द्र में अर्थ अवस्थित है।' धर्म का सेवन भी धन द्वारा होता है। धन भाग्य की गठरी है। रोजी-रोटी अर्जन का प्रतिफलन है। शिक्षा का महत्त्व मानव में अर्थ अर्जित करने की योग्यता उत्पन्न करने में है। इसके लिए शिक्षा का व्यवसायीकरण होना चाहिए। व्यवसायिक शिक्षा मानव की जीवकोपार्जन धोग्य बनाएगी।


काम और मोक्ष प्राप्ति में शिक्षा का महत्व

मानव जीवन के तीसरा पुरुषार्थ सोपान है, काम। काम का अर्थ है इच्छा। विविध इच्छाओं की पूर्ति और तज्जनित आनंद की प्राप्ति में शिक्षा का महत्त्व है। यही कारण है कि आजं विद्या विभिन्‍न कलाओं में विकसित हुई है। ललित कलाओं (अर्थात काव्य, संगीत, चित्र, मूर्ति और वास्तुकला) का उद्देश्य मन को आनन्द प्रदान करनां है। मनष्य के सभी काम भोग अथवा आनंद में परिसमाप्ति के लिए ही शुरू किए जाते हैं। शिक्षा का महत्व तभी है जब वह स्वस्थ आनंद प्रदान करे, ताकि वह मानव के सांस्कृतिक विकास का साधन बन सके। मोक्ष का अर्थ यदि मन की शांतिपूर्ण एक स्थिति-विशेष लें तो मन का शांत रहना भी मनुष्य के आनंद का बड़ा कारण है; सब झगड़ों का अंत है | यदि हृदय की अज्ञान- ग्रन्थि का नष्ट होना ही मोक्ष कहा जाए, तो हृदय की अज्ञानता दूर करने में ही शिक्षा का महत्व है। मोक्ष का अर्थ सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति हो, तो वह ज्ञान सुशिक्षा से ही संभव है। सुशिक्षा सत्य का ज्ञान कराएगी। इसीलिए भारतीय संस्कृति में ज्ञान को मनुष्य की तीसरी आँख (अर्थात ज्ञान तृतीय मनुजस्यथ नेत्रम्‌) बताया गया है।


जीवन को सही ढंग से जीने की योग्यता में शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्त्व इन चारों पुरुषार्थों द्वारा जीवन -जीने की योग्यता में है। धार्मिक शिक्षा से मानव में मानवीय गुणों का विकास होगा। सात्त्विक वृत्तियों का उदय होगा। जीवन में सत्य-असत्य की परख होगी। धन उपार्जन की शिक्षा मानव को परिवार पालन योग्य बनाएगी। धन कमाने के विविध ढंग बताएगी। समाज का कोई व्यक्ति नौकरी के लिए किसी का द्वार नहीं खट-खटाएगा। दर-दर मारा-मारा नहीं भटकेगा। अपने अर्जित ज्ञान, परिश्रम और पुरुषार्थ से धन कमा सकेगा काव्य, संगीत, चित्र, मूर्ति और वास्तुकलाओं का चित्रण जीवन में आठढान-प्रदान करेगा; उसके सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करेगा। दूसरी ओर, ललित-कलाएँ धन-उपार्जन का श्रेष्ठ साधन बन गई हैं।


उपसंहार

अनुचित अनुपयोगी तथा व्यर्थ के बंधनों से मुक्ति दिलाकर शिक्षा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करेगी। संसार रूपी समुद्र में जीवन के सुचारु संचालन तथा मंगलमय जीवन के लिए शिक्षा पतवार है। जीवन को सर्वगुण- सम्पन्न और सफल समृद्ध करने तथा सत, चित और आनंद प्राप्ति करने में शिक्षा का महत्त्व है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। बचपन से ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हर संभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।


ADVERTISEMENT