परीक्षा शुरू होने के आधा घंटा पहले का दृश्य पर निबंध

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परीक्षा शुरू होने के आधा घंटा पहले पर हिंदी निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, और 9 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on half hour before the examination in hindi - Half an Hour Before the Commencement of the Examination Essay in hindi for class 5, 6, 7, 8 and 9 Students. Essay on Half Hour before Exam in Hindi for Class 5, 6, 7, 8 and 9 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - परीक्षा का भय - प्रश्नपत्र की कल्पना - अभ्यास के पुनरावृत्ति - विद्यार्थियों के दृश्य - महत्त्व - उपसंहार।

सोने का परीक्षण करने के लिए उसे आग में तपाया जाता है तब सोने जैसी कठोर धातु भी पिघल जाती है, फिर बेचारे हाड़माँस के आदमी की बात ही क्या? कितनी भी तैयारी कर रखी हो, पुस्तकों को घोट-चाट डाला हो; लेकिन परीक्षा आते ही परीक्षार्थी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। बड़े-बड़े बुद्धिमान भी परीक्षा के नाम से घबराते हैं। ज्यों-ज्यों परीक्षा का दिन पास आता है, त्यों-त्यों मन में एक तरह का भय बढ़ता जाता है। परीक्षा शरू होने से आधा घंटा पहले विद्यार्थी की मनोदशा बहुत अजीब होती है।

परीक्षा प्रारंभ होने से पहले ही विद्यार्थी परीक्षास्थान पर पहुँच जाते हैं और मित्रों की अलग-अलग टोलियाँ बन जाती हैं। कोई कहता है, "देखना, इस कविता का अर्थ जरूर पूछा जाएगा।" दूसरा उसकी बात काटते हुए कहता है, "यह तो पहले ही पूछा गया था। क्या इस बार फिर पूछेगे?" इस प्रकार की चर्चाएँ कभी-कभी गरमागरम बहस का रूप धारण कर लेती हैं। अपेक्षित प्रश्नपत्र की कल्पना में विद्यार्थी जमीन-आसमान एक कर देते हैं।

पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को ऐसा लगता है, जैसे उन्हें कुछ भी याद नहीं है! बेचारे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तरों को बार-बार याद करते हैं, फिर भी उनको संतोष नहीं होता। कोई कविता का अर्थ रटने बैठता है, तो कोई सारांश के पीछे पड़ता है। अधिकतर विद्यार्थी मार्गदर्शिकाएँ लेकर उन्हें तोते की तरह रटने बैठ जाते हैं। कुछ विद्यार्थी अध्यापक द्वारा लिखाए गए 'नोट्स' को रट लेने में ही बुद्धिमानी समझते हैं।

सचमुच, परीक्षा समय का दृश्य बहुत रोचक होता है। जहाँ देखो, वहाँ चहल-पहल। सबके चेहरे पर भय और कुतूहल ! किंतु कुछ विद्यार्थी आत्मविश्वासी भी होते हैं ! वे पढ़ने में तल्लीन अपने मित्रों की चुटकी लेते हैं। कुछ ऐसे 'संत' भी नजर आते हैं, जिनको 'भाग्यदेवता' पर अखंड विश्वास होता है। वे 'रामभरोसे' रेस्टोरां में बैठकर चाय-कॉफी का मजा लूटते हैं और दूसरों से कहते हैं, "क्या यार, तू भी आग लगने पर कुआँ खोदता है !"

इस प्रकार परीक्षा शुरू होने के पहले का आधा घंटा विदयार्थियों के लिए परीक्षा से भी अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। कभी-कभी यह आधा घंटा विदयार्थी की सफलता में चार चाँद लगा देता है। वे जो कुछ इस समय पढ़ते हैं, वही कभी-कभी प्रश्नपत्र में पूछा जाता है। लेकिन कभी-कभी सारी मेहनत पर पानी भी फिर जाता है। समझदार विद्यार्थियों के लिए यह आधा घंटा 'स्वर्णकाल' साबित हो सकता है।

सचमुच, विद्यार्थियों के विविध रूपों को देखने के लिए परीक्षा के पहले का आधा घंटा उपयुक्त समय है।


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