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रुपरेखा : प्रस्तावना - परीक्षा की पूर्व तैयारी - परीक्षा का प्रथम दिन का विवरण - उपसंहार।
प्रस्तावना -विद्यार्थी-जीवन में परीक्षाओं का सामना करना बिलकुल आम बात है। इसके बावजूद, किसी भी परीक्षा का प्रथम दिन छात्रों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। परीक्षा के प्रथम दिन का सामना करना बहुत कठिन होता है। हमलोग बहुत घबराए रहते हैं। हमने जो पढ़ा या याद किया उस हर चीज को बार-बार दोहराना चाहते हैं। हमलोग प्रश्न-पत्र के बारे में सोचते रहते हैं। उनका विश्र्वास रहता है कि यदि वे पहले दिन अच्छा करेंगे तो वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है। इसलिए परीक्षा का प्रथम दिन भयानक लगता है। कुछ छात्र परीक्षाओं के पहले पूरी रात सो नहीं पाते। बोर्ड-परीक्षा का मेरा पहला दिन भी ऐसा ही था।
पहला विषय अंग्रेजी का था। मैंने अच्छी तरह तैयारी कर ली थी। फिर भी, मैंने प्रत्येक टॉपिक को बार-बार दोहरा लिया। मैं परीक्षा से पहले पूरी रात सो न सका। मैंने सुबह जल्दी बिस्तर छोड़ दिया। मैं परीक्षा हेतु जाने को तैयार हो गया। मैंने अपने बड़ो का आशीर्वाद लिया और विद्यालय के लिए निकल पड़ा। मेरी धड़कने तेज थीं और मैं बहुत उधेड़बुन में था।
मेरी गत वार्षिक परीक्षा के प्रथम दिन की याद मेरे मन में ताजी है। मैंने परीक्षा के लिए अच्छी तरह तैयारी की थी परंतु फिर भी मैं परीक्षा के पहले दिन बहुत घबराया हुआ था। मैं धीरे-धीरे परीक्षा-भवन की ओर चला। अंत में मैं विद्यालय पहुँचा। विद्यालय का परिचित भवन अजीब और भयानक लगता था। जब मैं विद्यालय पहुँचा तब मैंने देखा कि हर कोई अध्ययन में व्यस्त था। अधिकतर विद्यार्थी तनावग्रस्त में थे। कुछ छात्र बरामदे में पढ़ रहे थे। कुछ (छात्र) कक्षाओं में बैठे हुए थे और संभावित प्रश्नों के बारे में चर्चा कर रहे थे। उनमें से कुछ अपनी शंकाओं के बारे में शिक्षकों से बातें कर रहे थे। कुछ छात्र ईश्वर का स्मरण कर रहे थे। मैं अनिच्छा के साथ परीक्षा-भवन की ओर चला। तभी घंटी बजी। सभी छात्र अपनी कक्षाओं में चले गए। हम लोगों ने अपनी सीटे ले ली। मेरे कुछ मित्र जोर-जोर से बातें कर रहे थे, लेकिन मुझे बात करने की इच्छा नहीं थी। शिक्षक आए और हमें प्रश्न-पत्र दिए। मैंने उसे एक बार पढ़ा। मैं यह देखकर काफी खुश था कि वह बिलकुल आसान था। कुछ समय पहले मैं बहुत बेचैन था। लेकिन अब, मैंने अपना आत्म-विश्वास फिर से प्राप्त किया। अधिकतर छात्र लिखने में व्यस्त थे। लेकिन, कुछ छात्र इधर-उधर देख रहे थे। जब मैंने पश्रपत्र देखा तो मैंने पाया कि पश्र आसान थे। इसलिए मेरा भय दूर हो गया और मैंने उन पश्रों को चिहित किया, जिनका उत्तर मुझे देना था। मैंने प्रश्रों के उत्तर लिखना प्रारंभ किया। जब मैंने पहले पश्र का उत्तर लिखना समाप्त किया तब मैंने पाया कि उसमें काफी समय लग गया था। इसलिए मैं जितनी तेजी से लिख सकता था उतनी तेजी से लिखने लगा।
मैने समय पर अपना पत्र पूरा कर लिया। उसके बाद मैंने उत्तरी को दोहरा लिया। दोहराते समय, मुझे लगा कि मेरे सारे उत्तर सही। अतः मैं बहुत खुश था। अंतिम घंटी बज गई । शिक्षक ने उत्तरपुस्तिकाओं को इकट्ठा किया। मैं प्रसन्न-चित्त होकर परीक्षा-हॉल से निकला। परीक्षा का मेरा पहला दिन अत्यन्त ही अच्छा रहा, क्योकि मैन सभी प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह दिए थे। इसके लिए मैने दिल में ईश्वर का धन्यवाद किया। मैंने फैसला किया कि अब मैं आने वाले किसी भी में परीक्षा से नहीं डरूँगा।
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