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रूपरेखा : परिचय - दीपावली क्यों मनाई जाती है - दीपावली मनाने के तरीके - दीपावली से जुड़े कुछ बुरे तथ्य - निष्कर्ष ।
जिस प्रकार मुसलमानों के लिए ईद और ईसाइयों के लिए क्रिसमस है, उसी प्रकार दीपावली हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश और सुख-शांति का त्योहार है। यह अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। यह त्योहार भारत में सर्वत्र और कुछ अन्य देशों, जैसे नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार आदि में मनाया जाता है।
यह त्योहार भगवान् राम के चौदह वर्षों के बाद वनवास से लौटने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। वे इसी दिन अयोध्या वापस आए थे। अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत में दीए जलाए थे।
इस त्योहार के मनाने की तैयारियाँ बहुत पहले से ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने-अपने घरों की सफाई और पुताई करते हैं। व्यवसायी अपने-अपने कार्यालयों, दुकानों एवं गोदामों की सफाई करते हैं। दीपावली के दिन प्रत्येक व्यक्ति खुश रहता है। बच्चे विभिन्न प्रकार के पटाखे और मिठाइयाँ खरीदते हैं। अनेक स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। शाम में, प्रत्येक व्यक्ति भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करता है। प्रत्येक व्यक्ति धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी दीपावली में हमारे यहाँ आती हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। दीए और चिराग जलाए जाते हैं। आजकल बिजली की बत्ती और चिराग घरों की सजावट के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इस पर्व को कुछ लोग सही तरीके से मनाते हैं। किंतु, कुछ लोग दीपावली के अवसर पर जुए में मग्न हो जाते हैं और मदिरा-पान करते हैं। बहुत-से बच्चे पटाखे जलाते समय घायल हो जाते हैं। पटाखों के धुएँ तथा शोर बुजुर्ग लोगों और छोटे बच्चों को प्रभावित करते हैं। कभी-कभी दुकानों और मकानों में आग लग जाती है। इससे जान-माल की काफी क्षति होती है। अतः पटाखा जलाते समय हमें सतर्क रहना चाहिए।
दीपावली प्रकाश और आनंद का त्योहार है। हमलोगों को इसे किसी गलत कार्य के द्वारा बिगाड़ना नहीं चाहिए। दीपावली में थोड़ीसी सावधानी और संवेदनशीलता सभी के लिए सुख-शांति ला सकती हैं।
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