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ऊँट एक बड़ा शरीरवाला जानवर है। इनमें बहुत लम्बे पैर और लंबी गर्दन होती है। इसकी लंबाई लगभग 9 से 10 फुट होती है।
उसका शरीर लंबा और बेडौल होता है उसकी पीठ पर बड़ा-सा कूबड़ होता है। ऊँट की गरदन लंबी और पूँछ छोटी होती है। ऊँट के पैर लंबे और गद्दीदार होते हैं। ऊँट की दो बड़ी आंखें होती है जिनके ऊपर रेगिस्तानी धूल से बचाने के लिए बोहो पर बड़े-बड़े बाल होते है। इसी कारण यह रेगिस्तानी आंधी में भी देख पाता है और सही दिशा में चल पाता है। ऊँट की गर्दन लंबी और चौड़ी होती है जिसके कारण यह है ऊंची झाड़ियों की हरी पत्तियां खा सकता है जिनसे उन्हें पोष्टिक आहार मिलता है। ऊंट के बड़े बड़े 34 दांत होते है। उसके पेट में एक बहुत बड़ा बैग है। ऊँट की बोली को 'बलबलाना' कहते हैं।
ऊँट का वजन 300 से 600 किलो तक हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार ऊंट लगभग 40 से 50 साल तक जीवित रहते हैं। ऊँट रेगिस्तान में बिना पानी के लगभग एक महीने तक जीवित रह सकता है। ऊँट के पेट में पानी को जमा करने के लिए एक बड़ी थैली आकार का हिस्सा होता है जिसमें है एक बार में 20 से 30 लीटर तक पानी जमा करके रख सकता है। यही कारण है की तेज धूप में भी इनका शरीर ठंडा रहता है क्योंकि इसके शरीर में पानी की मात्रा बहुत अधिक रहती है।
यह रेगिस्तान में आसानी से चल सकता है। यही कारण है कि ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। ऊँट शाकाहारी पशु है यह भोजन में हरी घास हरे पत्ते अनाज और कटीली झाड़ियां खाता है। ऊँट एक बुद्धिमान जानवर है क्योंकि यह एक बार जिस रास्ते से गुजर जाता है उसको हमेशा याद रखता है इसीलिए रेगिस्तान में कभी भी अपना रास्ता नहीं भटकता है।
ऊँट सवारी करने और बोझा ढोने के काम आता है। रेगिस्तान में सवारी करने और सामान ढोने के लिए इसीका उपयोग होता है। यह एक उच्च कूबड़ है। कूबड़ में पानी और भोजन संग्रहीत करता है। तो यह पानी और भोजन के बिना कई दिनों तक रह सकता है।
मादा ऊँट को ऊँटनी कहते हैं। मादा ऊँट साल में एक या दो बार बच्चों को जन्म देती है। ऊँट के बच्चे के जन्म के समय कूबड़ नहीं होता है यह एक या दो दिन में ही अपने पैरों पर खड़े हो जाते है। ऊँटनी दूध भी देती है। मादा ऊँट एक दिन में लगभग 3 से 9 लीटर तक दूध देती है। ऊँटनी का दूध महँगा होता है। ऊँटनी के दूध से आइसक्रीम, मिठाइयां आदि पदार्थ बनाने में उपयोग होता है। ऊँटनी का दूध बहुत ही लाभदायक होता है जो शरीर के अंदर की लगभग हर बीमारी, डेंगू जैसी बीमारियों को ठीक कर देता है। ऊँट का दूध बहुत पौष्टिक होता है इसमें तांबा, विटामिन और मिनरल्स अधिक पाए जाते है यही कारण है की ऊँट का दूध महँगा मिलता है। इसका दूध गाय के दूध से भी अधिक पोष्टिक माना जाता है।
हमारे भारत देश में ऊँट का उपयोग कई प्रकार से होता है। पुराने जमाने में ऊँट यातायात का साधन भी रहा है और आज भी हमारे राजस्थान के बॉर्डर की रक्षा करने के लिए फौजियों द्वारा ऊँट का उपयोग किया जाता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर सैनिकों द्वारा ऊँट पर विभिन्न प्रकार के करतब दिखाए जाते है। यह एक ऐसा जानवर है जो कि अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक सर्दी दोनों को आसानी से सह सकता है।
ऊँट का उपयोग विभिन्न पिकनिक स्थलों पर किया जाता है जो कि पर्यटकों को इस की सवारी करवाई जाती है जिससे ऊँट को व्यापार के रूप में उपयोग में लिया जाता है। आज इनकी प्रजाति दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसलिए भारत सरकार ने राजस्थान के बाड़मेर जिले में सन 2011 में ऊंटों पर अनुसंधान करने के लिए एक राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केन्द्र (National Research Center of Camel) की स्थापना की जिसमें बड़े-बड़े पशु चिकित्सकों द्वारा ऊँटो पर अनुसंधान किया जाता है। ऊँट एक शाकाहारी और पालतू जानवर है।
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