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रूपरेखा : परिचय - अमर्त्य सेन का प्रारंभिक जीवन - उनकी शिक्षा - उनका पेशेवर जीवनवृत्ति - निष्कर्ष।
परिचयअमर्त्य सेन एक भारतीय अर्थशाष्त्री और दार्शनिक हैं। नोबेल पुरस्कार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है, इसे प्राप्त करना निश्चय ही व्यक्ति और देश दोनों के लिए गौरव की बात है। डॉ. अमर्त्य सेन भी उन्हीं प्रतिभाओं में से एक हैं जिन्हें यह गौरव प्राप्त हुआ है। वे ‘अर्थशास्त्र’ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले पहले एशियाई हैं। डॉ. अमर्त्य सेन को 1998 में ‘कल्याणकारी अर्थशास्त्र’ के लिए अर्थशास्त्र के ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर, 1933 को कोलकाता के शांति निकेतन में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आशुतोष सेन और माता का नाम अमिता सेन था। उनके पिता ढाका विश्वविद्यालय में प्राध्यापक थे। बाद में वे पश्चिम बंगाल चले आए। गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर ने अमर्त्य का नामकरण किया था। सेन के परिवार का सम्बन्ध वारी और मानिकगंज (अब बांग्लादेश में) से था। अमर्त्य के पिता आशुतोष सेन ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शाष्त्र के प्रोफेसर थे और सन 1945 में परिवार के साथ पश्चिम बंगाल चले गए और पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (अध्यक्ष) और फिर संघ लोक सेवा आयोग में कार्य किया। अमर्त्य की माता क्षिति मोहन सेन की पुत्री थीं, जो प्राचीन और मध्यकालीन भारत के जाने-माने विद्वान् थे और रविंद्रनाथ टैगोर के करीबी भी।
अमर्त्य की प्रारंभिक शिक्षा सन 1940 में ढाका के सेंट ग्रेगरी स्कूल से प्रारंभ हुई। सन 1941 से उन्होंने विश्व भारती यूनिवर्सिटी स्कूल में पढ़ाई की। वे आई.एस.सी. परीक्षा में प्रथम आये और उसके बाद कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने अर्थशाष्त्र और गणित में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की और सन 1953 में वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज चले गए जहाँ उन्होंने अर्थशाष्त्र में दोबारा बी.ए. किया और अपनी कक्षा में प्रथम रहे। अमर्त्य सेन कैंब्रिज मजलिस का अध्यक्ष भी चुने गए। जब वे कैंब्रिज में पी.एच.डी. के छात्र थे उसी दौरान उन्हें नव-स्थापित जादवपुर विश्वविद्यालय से अर्थशाष्त्र के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष बनने का प्रस्ताव आया। उन्होंने सन 1956-58 तक यहाँ कार्य किया। इसी दौरान सेन को ट्रिनिटी कॉलेज से एक प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप मिली जिसने उन्हें अगले चार साल तक कुछ भी करने की स्वतंत्रता दे दी जिसके बाद अमर्त्य ने दर्शन पढ़ने का फैसला किया। वे सदैव सर्वोच्च स्थान पर रहे हैं।
1960-61 ई. में डॉ. सेन अमेरिका के मैसेचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान में अतिथि प्राध्यापक थे। वे यू. सी. बर्कले और कॉर्नेल में भी अतिथि प्राध्यापक थे। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में 1963 ई. से 1971 ई. के बीच अर्थशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में पढ़ाया। वे निरंतर कई अन्य मशहूर विश्वविद्यालयों में अतिथि प्राध्यापक रहे। 1972 ई. में वे लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से प्राध्यापक के रूप में जुड़े। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया। 2012 ई. में डॉ. सेन बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति नियुक्त किए गए।
अमर्त्य सेन ने अपना शैक्षणिक जीवन जादवपुर विश्वविद्यालय में एक शिक्षक और शोध छात्र के तौर पर प्रारम्भ किया। सन 1960-61 के दौरान वे अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ में विजिटिंग प्रोफेसर रहे जहाँ उनका परिचय पॉल समुएल्सन, रोबर्ट सोलोव, फ्रांको मोदिग्लिआनी और रोबर्ट वेइनेर से हुआ। वे यू-सी बर्कले और कॉर्नेल में भी विजिटिंग प्रोफेसर रहे। सन 1963 और 1971 के मध्य उन्होंने ‘डेल्ही स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ में अध्यापन कार्य किया। इस दौरान वे जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, सेण्टर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ़ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और सेण्टर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज जैसे प्रतिष्ठित भारतीय शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े रहे। इसी दौरान मनमोहन सिंह, के.एन.राज और जगदीश भगवती जैसे विद्वान भी ‘डेल्ही स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ में पढ़ा रहे थे। सन 1972 में वे ‘लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ चले गए और सन 1977 तक वहां रहे और सन 1977-86 के मध्य उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्व्विद्यालाय में पढाया। सन 1987 में वे हार्वर्ड चले गए और सन 1998 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज, का मास्टर बना दिया गया।
वर्तमान में वे थॉमस डब्लू. लेमॉन्ट विश्वविद्यालय एवं हार्वार्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। डॉ. सेन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किया है। 1998 ई. में उन्हें अर्थशास्त्र-विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। 1999 ई. में वे 'भारत रत्न' से पुरस्कृत किए गए। हम आशा करते हैं कि वे अपने ज्ञान और अनुभव से हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
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