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प्रस्तावना - अद्भुत नेतृत्व - आदर्श नेता - भारत को स्वतंत्र करने के लिए आंदोलन - समाज सुधार के कार्य - सत्य और अहिंसा के पुजारी - उपसंहार।
प्रस्तावना | महात्मा गांधी -भारत महापुरुषों का एक अनोखा देश है। जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर टिळक, महादेव गोविंद रानडे, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, आदि अनेक नेताओं ने हमारे इतिहास की शोभा बढ़ाई है। लेकिन महात्मा गाँधी बापू या राष्ट्रपिता के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध हुए। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गाँधी को महात्मा उनके महान कार्यो और उनके महानता के लिए कहा जाता है। महात्मा गाँधी एक महान स्वंतंत्रता सेनानी और अहिंसक कार्यकर्ता थे।
महात्मा गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। सरल भाषा में दिए गए उनके भाषण देशवासियों पर जादू सा असर करते थे तथा उन्हें देश के प्रति जागृत करते थे। उनकी एक पुकार पर आजादी के दीवानों की टोलियाँ मातृभूमि पर बलिदान देने के लिए निकल पड़ती थीं। पच्चीस वर्षों से भी अधिक समय तक उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध कई अहिंसक आंदोलन चलाए थे। अंत में अंग्रेज शासकों की लाठियों, बंदूकों, तोपों और बमों पर अहिंसा ने विजय पाई और सदियों से गुलाम रहा भारत आजाद हुआ। इसीलिए गांधीजी युगपुरुष कहलाए गए।
गांधीजी आज के मत बटोरने वाले नेताओं की तरह दिखावा पसंद नहीं करते थे। उनके मन, वचन और कर्म में एकरूपता थी। गांधीजी में देशसेवा की सच्ची लगन थी। वे लोकसेवा के बल पर नेता बने थे। इसीलिए वह सभी के लिए एक आदर्श नेता थे। ब्रिटिश शासन से हमे मुक्त कराने के लिए उन्होंने वास्तव में अपनी सारी शक्तियों का इस्तिमाल किये थे। वह सही मायने में लोगो में एकता जागृत करते थे। वह आज सभी के लिए एक आदर्श नेता है क्यूंकि उनका काम, देश के प्रति संगर्ष, देश को आजादी के लिए अपना बलिदान, उन्हें एक आदर्श नेता बनाता है।
भारत को स्वतंत्र कराना गांधीजी का सबसे प्रमुख लक्ष्य था, किंतु उनके प्रयत्न इस लक्ष्य तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पथ पर कई जान आंदोलन शुरू किये जैसे, १९२० में सहयोग आंदोलन, १९३० में सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट और अंत में १९४२ में भारत छोड़ो आंदोलन किए थे। उनका अनेक शंघर्ष और कार्यो के बाद अंत में ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देनी पड़ी। इसीलिए महात्मा गांधीजी को भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी कहते है।
महात्मा गांधीजी देश में रामराज्य देखना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने समाज-सुधार का कार्य किया। उन्होंने गरीब भारत को तकली और चरखे द्वारा रोजी-रोटी दी। शराब-बंदी, निरक्षरता-निवारण, स्त्री-शिक्षा, आदि के लिए उन्होंने कई कार्य किए। देश को एक सूत्र में बाँधने के लिए उन्होंने राष्ट्रभाषा का प्रचार किया। हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए वे आजीवन प्रयत्न करते रहे। उन्होंने अछूतों को 'हरिजन' नाम देकर उनका सम्मान किया जिनका अर्थ भगवन के लोग होते है। उन्होंने रंग बाधा और जाती बाधा हटाने के लिए भी कार्य किये।
गांधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे तथा उनके जीवन में सादगी थी। दुर्बल शरीर और घुटनों तक ऊँची धोती पहनने वाले गांधीजी भारत की आम जनता के प्रतीक थे। वह विदेशी उत्पादों के उपयोग से बचने के लिए और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, चरखे द्वारा सूती कपड़ो की बुनाई शुरू कर दी। वह कृषि के बड़े समर्थक थे और कृषि कार्य करने के लिए लोगो को प्रेरित करते थे। उनके दया, धर्म और प्रेम की त्रिवेणी लगातार बहती रहती थी। जिस तरह एक पिता अपने परिवार को सुखी देखना चाहता है, उसी तरह गांधीजी सारे देश को सुखी एवं समृद्ध देखना चाहते थे। इसीलिए लोगों ने उन्हें राष्ट्रपिता कहकर उनका आदर किया।
गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत में ही नहीं, सारे विश्व में अपने कार्यों से चर्चे में रहे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को आज भी सभी लोग याद करते है। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। गांधीजी ने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चल के अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संगठन ने प्रतिवर्ष गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। अंत 30 जनवरी 1948 को उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर का राजघाट, नई दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाने की घोषणा की गयी।
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