मेरे विद्यालय का पुस्तकालय पर निबंध

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मेरे स्कूल की लाइब्रेरी पर निबंध - मेरे स्कूल का पुस्तकालय हिंदी निबंध - Essay on my School Library - My School Library Essay in Hindi

रूपरेखा : प्रस्तावना - मानव विकास और प्रगति का साधन - पुस्तकालय को भीतरी साज-सज्जा - पुस्तकें विषयानुसार और अलग - अलग अलमारियाँ - शांत वातावरण और छात्रों के लिए सुविधा - विभिन्‍न भाषाओं की पत्र- पत्रिकाएँ - उपसंहार।

परिचय | विद्यालय का पुस्तकालय की प्रस्तावना-

पुस्तकालय शब्द पुस्तक ओर आलय से मिलकर बना है इसका अर्थ है – पुस्तकों का घर । चूंकि पुस्तकों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए पुस्तकालय को ‘ ज्ञान का सागर ‘ कहा जा सकता है । जिस प्रकार सागर में छोटी-घड़ी सभी नदियों का जल समाहित होता है उसी प्रकार पुस्तकालय में विद्‌यार्थियों के लिए उपयोगी सभी प्रकार की पुस्तकें संग्रहित होती हैं । सभी विद्यालय में एक पुस्तकालय होता है। पुस्तकालय पाठकों के लिए ज्ञान का भंडार होता है जहाँ प्रत्येक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करते हैं।


मानव विकास और प्रगति का साधन-

पुस्तकालय मानव-जीवन के विकास तथा प्रगति का महत्त्वपूर्ण साधन है। इसमें विभिन्‍न विषयों पर अनेक श्रेष्ठ लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकों का संग्रह होता है। ये पुस्तकें व्यक्ति की ज्ञान पिपासा को शांत करती हैं, अत: प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय का होना अनिवार्य है।


पुस्तकालय को भीतरी साज-सज्जा | मेरे विद्यालय का पुस्तकालय फितर से कैसा लगता है-

मेरे विद्यालय का पुस्तकालय विद्यालय की पहली मंजिल पर एक बड़े हॉल में स्थित है। यहाँ साठ-सत्तर अलमारियों में पुस्तकें रखी हुई हैं। पुस्तकों के अतिरिक्त विद्यालय में अनेक दैनिक, साप्ताहिक और मासिक पत्र-पत्रिकाएँ भी आती हैं। पुस्तकालय के बीचों-बीच तीन बड़ी मेजें हैं । एक मेज हिन्दी-अंग्रेजी दैनिक समाचार-पत्रों के लिए है।

दूसरी, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं के लिए है और तीसरी शिक्षकों के लिए है ताकि शिक्षकगण संदर्भग्रंथों का अध्ययन कर सकें । मेज के तीन ओर बैंच तथा कुर्सियाँ रखी हैं, जिन पर बैठकर विद्यार्थी तथा अध्यापक सरलता से पुस्तकें तथा पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ सकते हैं।

पुस्तकालय की बड़ी मेज के समीप एक साधारण मेज रखी है। यह पुस्तकालयाध्यक्ष की मेज है। मेज के ओर एक कुर्सी रखी है। यह पुस्तकालयाध्यक्ष के बैठने का स्थान है। कुर्सी के समीप एक रैक रखा है, जिसमें कुछ रजिस्टर रखे हैं । मेज के दाईं-बाई ओर कुर्सियाँ रखीं हैं, जहाँ अध्यापक बैठ सकते हैं । विद्यालय की दीवारों पर सुभाषित और सूक्तियाँ लिखी हुई हैं, जो अनजाने पाठकों के हृदयों को गुद्गुदाती हैं, श्रेष्ठ आचरण की प्रेरणा देती हैं।


पुस्तकें विषयानुसार और अलग-अलग अलमारियाँ | मेरे विद्यालय में पुस्तकें विषयानुसार और अलग रखी गयी है-

अलमारियों में पुस्तकें विषय और विधा के अनुसार रखी हुई हैं । प्राय: प्रत्येक विपय की पृथक्‌ अलमारी है। अलमारियों के कपाट शीशे के हैं । उन पर विषय या विधा का नाम अंकित है । जैसे- हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें, उपन्यास-कहानी, नाटक-एकांकी, कविता, निबंध आदि विधाओं में विभकत हैं। इनके अतिरिक्त अन्य पुस्तकें जैसे भौतिकी, रसायन, जीव-विज्ञान, भूगर्भशास्त्र, अर्थशास्त्र, भारतीय अर्थशास्त्र, वाणिज्य सिद्धांत, बुक कीपिंग, ऐडवांस एकाउन्टेंसी, नागरिक-शास्त्र, भारतीय नागरिक- शास्त्र, गणित, ज्योमैट्री टिग्नोमैट्री आदि विषयों में विभकत हैं।

प्रत्येक पुस्तक पर विषय, क्रम-संख्या तथा पुस्तकालय की पुस्तक संख्या अंकित हैं। प्रत्येक पुस्तक में एक कार्ड रखा है, जिसमें पुस्तक देने तथा वापिस लौटाने की तिथि लिखी जाती है। बिलम्ब से पुस्तक लौटाने वाले को अर्थ- दण्ड देना पड़ता है। एक विशिष्ट अलमारी कोश ग्रंथों की है। इसमें हिन्दी-हिंदी, अंग्रेजी-हिन्दी, हिंदी-अंग्रेजी, उर्दू-हिंदी के विभिन्‍न कोश हैं । साथ ही अनेक प्रकार के विज्ञान-कोश, मुहावरे-लोकोक्ति कोश, सूक्ति-कोश, साहित्यिक कोश रखे हैं । विशिष्ट अध्ययन के लिए अंग्रेजी तथा हिन्दी, दोनों भाषाओं में विश्व-कोश भी रखे हुए हैं। तीन-चार अलमारियों के ऊपर रखी हैं दैनिक अखबारों की रद्दी तथा/साप्ताहिक- मासिक पत्र-पत्रिकाओं के पिछले अंक। इन पर प्राय: धूल पड़ी रहती है।


शांत वातावरण और छात्रों के लिए सुविधा-

मेरे विद्यालय के पुस्तकालय का वातावरण बड़ा शांत है । पुस्तकालय मैं प्रवेश करने पर विद्यार्थी का हाथ तुरन्त किसी पत्र-पत्रिका अथवा पुस्तक पर उसी प्रकार जाता है, जैसे के बस में प्रवेश करने पर श्रद्धा से विभोर मानव देव-प्रतिमा के सम्मुख नतमस्तक जाता है। सप्ताह में एक दिन हमारी कक्षा का एक पीरियड पुस्तकालय का भी होता है। इस पीरियड में हम पिछले सप्ताह ली हुई पुस्तक लौटाते हैं और कोई नई पुस्तकें लेते हैं । पुस्तकालय से हमें विभिन्न विषयों और विधाओं की पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिलता है। जिसे मेरे ज्ञान में वृद्धि होती है।


विभिन्‍न भाषाओं की पत्र-पत्रिकाएँ-

हिंदी के दैनिक समाचार-पत्रों में दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी आदि आते हैं। अंग्रेजी के दैनिकों में हिन्दुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दू तथा पेट्रियोएट आते हैं। हिन्दी साप्ताहिकों में पाँचजन्य और इंडिया टुडे आते हैं, तो अंग्रेजी साप्ताहिकों में 'इंडिया टुडे' आर्गनाइजर का प्रमुख स्थान है। हिन्दी मासिकों में कादम्बिनी प्रमुख है। बच्चों की चार प्रमुख पत्रिकाएँ पराग, नन्दन, देवपुत्र और बालभारती जैसी लोकप्रिय पत्रिकाएँ भी मेरे विद्यालय का पुस्तकालय मँगाता है। इनके अतिरिक्त खेलकूद तथा स्वास्थ्य संबंधी पत्रिकाएँ भी मेरे विद्यालय पुस्तकालय को सुशोभित करती हैं।


उपसंहार-

मेरे विद्यालय का पुस्तकालय स्वच्छ और सूंदर है, पुस्तकों से समृद्ध है, पत्र- पत्रिकाओं से भरपूर है, अध्ययनशील वातावरण से सुगन्धित है। यह ज्ञान-विज्ञान का प्रसारक है और है मानसिक क्षुधा-शान्ति का साधन हैं। मेरे विद्यालय का पुस्तकालय अति उपयोगी और प्रेरणादायक हैं।


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