विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध

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मेरे स्कूल में वार्षिकोत्सव पर निबंध - Essay on Anniversary in My School - Essay on School Anniversary - Anniversary in My School Essay in Hindi

रूपरेखा : प्रस्तावना - उन्‍नति और प्रगति का परिचायक - उत्सव की विभिन्‍न स्तरों पर तैयारी - उत्सव प्रारंभ - मुख्य अतिथि का स्वागत - शारीरिक व्यायाम और नाटक प्रदर्शन - पुरस्कार वितरण समारोह - उपसंहार।

परिचय | विद्यालय का वार्षिकोत्सव की प्रस्तावना-

सामाजिक जीवन में जो स्थान धार्मिक पर्वों का है, राष्ट्र के जीवन में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, बाल-दिवस तथा गाँधी-दिवस का है, वही स्थान विद्यालय-जीवन में उसके वार्षिकोत्सव का है।


उन्‍नति और प्रगति का परिचायक-

विद्यालय का वार्षिकोत्सव विद्यालय की उन्नति और प्रगति का परिचायक है । विद्यार्थी और अध्यापकों, दोनों के लिए यह हर्ष और उल्लास का पर्व है। विद्यार्थियों की प्रतिभा, योग्यता और कार्यकुशलता के मूल्यांकन का दिन है। योग्य और प्रतिभावान विद्यार्थियों को पुरस्कृत और सम्मानित करने का दिन है। अपने श्रेष्ठ कार्यक्रम और प्रदर्शन द्वारा जनता का दिल जीतने का सु-अवसर है। इसलिए सभी शिक्षण संस्थाएँ चाहे वे विद्यालय हों या महाविद्यालय अपना वार्षिकोत्सव धूम-धाम से मनाती हैं।

वार्षिकोत्सव के लिए दिन का निश्चय भिन्‍न-भिन दृष्टिकोणों से किया जाता है । कुछ संस्थाएं उस दिन अपना वार्षिकोत्सव मानती हैं, जिस दिन उनकी स्थापना हुई थी, तो कुछ संस्थाएँ किसी त्यौहार या पर्व के अवसर पर वार्भिकोत्सव (सालगिरह) आयोजन करती हैं। हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष वसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है।


उत्सव की विभिन्‍न स्तरों पर तैयारी | विद्यालय में वार्षिकोत्सव की तैयारी-

उत्सव की तैयारी प्राय: वसंत के एक मास पूर्व शुरू हो जाती है। विभिन्‍न समितियाँ गठित करके कार्य को विभाजित किया जाता है। जैसे- व्यवस्था कमेटी, पांडाल व्यवस्था समिति, प्रदर्शन कमेटी, खेल प्रतियोगिता कमेटी, बौद्धिक प्रतियोगिता कमेटी, स्वागत समिति आदि। स्कूल समय में खेल मैदान में कहीं शारीरिक व्यायाम का सामूहिक अभ्यास हो रहा है तो कहीं लेजियम, कहीं डम्बल और बैंड के स्वर में एकरूपता लाने का प्रयत्न हो रहा है। कहीं नाटक की तैयारी हो रही है, तो कहीं कवि-दरबार की। इस भाँति स्कूल का हर विद्यार्थी उत्सव कौ तैयारी में हिस्सा रहता है।


उत्सव प्रारंभ | विद्यालय में वार्षिकोत्सव का उत्सव आरंभ हो चूका है-

वसंत पंचमी का दिन आया। उत्सव शाम चार बजे होना है और स्कूल के मैदान में चहल-पहल प्रात: से ही आरंभ हो गई है। कहीं शामियाना ताना जा रहा है, कहीं नाटक के लिए मंच बनाया जा रहा है, कहीं दरियाँ बिछायी जा रही हैं। शाम तीन बजे से ही आमंत्रित व्यक्तियों का आगमन आरम्भ हो गया है। प्रत्येक मेहमान के पास प्रवेश-पत्र है। वह अपने प्रवेश-पत्र में अंकित संख्या के अनुसार अपने स्थान पर बैठ जाता है। पंडाल में अध्यक्ष महोदय को आसन तक पहुँचाने के लिए बीचों-बीच एक मार्ग छोड़ा हुआ है। एक ओर मान्य अतिथि बैठे हैं, दूसरी ओर उत्सव में भाग लेने वाले विद्यार्थी पंक्तिबद्ध स्कूल-गणवेश (स्कूल के कपडे) में खड़े हैं । मार्ग पर लाल बजरी बिछी हुई बड़ी सुन्दर लग रही है। मार्ग के दोनों ओर माननीय अध्यक्ष के स्वागतार्थ एन.सी.सी. के छात्र खड़े हैं, जिनके हाथों में नकली बन्दूकें हैं।


मुख्य अतिथि का स्वागत-

ठीक चार बजे वार्षिकोत्सव के मनोनीत अध्यक्ष दिल्‍ली के उप-राज्यपाल महोदय पधारे। एन.सी.सी. बैंड की टीम ने उनका स्वागत किया। स्कूल के व्यवस्थापक और प्रधानाध्यापक महोदय ने अध्यक्ष की अगवानी की। अध्यक्ष की कुर्सी के साथ तीन और कुर्सियाँ लगाई हुई थीं। एक पर स्कूल के प्रबन्धक महोदय बैठे तथा दूसरी पर प्राचार्य जी तथा तीसरी पर अभिभावक संघ के अध्यक्ष। सर्वप्रथम प्रबन्धक महोदय ने अध्यक्ष जी का परिचय कराते हुए स्कूल के विद्यार्थियों और अध्यापकों की ओर से पुष्पमाला से उनका स्वागत किया।


शारीरिक व्यायाम और नाटक प्रदर्शन-

विद्यार्थियों ने शारीरिक व्यायाम का प्रदर्शन किया। स्कूल के सौ विद्यार्थियों ने बैंड के साथ शारीरिक व्यायाम का प्रदर्शन किया जहाँ डम्बल, लेजियम और लाठी का प्रदर्शन तथा राष्ट्रीय छात्र-सैन्य दल की (एन.सी.सी.) टुकड़ी का पथ-संचलन देखते ही बनता था। प्रदर्शन का अंतिम कार्यक्रम है नाटक और कवि-दरबार। श्री उपेन्द्रनाथ ' अश्क' द्वारा लिखित 'स्वर्ग की झलक” नाटक का अभिनय आरंभ हुआ। पात्रों की वेष-भूषा और मंच की सजावट देखते ही बनती है । एक दृश्य की समाप्ति और दूसरे दृश्य के आरम्भ के मध्य कवि-दरबार का आयोजन किया गया है। कविता पढ़ने वाले छात्रों की वेश-भूषा बिल्कुल उन्हीं कवियों जैसी है, जिनकी कविता वे पढ़ रहे हैं। सन्‍त कबीर मधुर वाणी में 'माया महा ठगनी हम जानी' सुनाते हैं, तो कवि शिरोमणि सूरदास आँखें बंद किए तम्बूरा हाथ में लेकर बैठे हैं। उनके सामने एक बालक भगवान कृष्ण बना बैठा है। इस प्रकार नाटक और कवि-दरबार का सम्मिलित कार्यक्रम तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सम्पन्न हुआ।


पुरस्कार वितरण समारोह | वार्षिकोत्सव समारोह समाप्त होने के बाद पुरस्कार वितरण समारोह-

तदनन्तर शारीरिक प्रदर्शनों में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थी अतिथियों के सामने वाले मैदान में आकर शांतिपूर्वक बैठ गए। उस्रके बाद प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की गत वर्ष की रिपोर्ट प्रस्तुत की । तत्पश्चात्‌ पारितोषिक-वितरण (पुरस्कार वितरण) आरंभ हुआ। इसमें व्यक्तिगत खेलों संगीत, कविता-पाठ तथा वार्षिक परीक्षा में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इसके अतिरिक्त सामूहिक खेल (हॉकी, फुटबाल आदि) तथा एकांकी प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय आने वाली टीमें भी पुरस्कृत की गईं। इस प्रकार पुरस्कार देते हुए पुरस्कार-वितरण समाप्त हुआ।


उपसंहार

उसके बाद अध्यक्ष महोदय ने प्रेरणा भाषण में विद्यार्थियों को परिश्रमपूर्वक पढ़ने- लिखने और शारीरिक-शिक्षण वाले कार्यक्रमों में भाग लेने की सलाह देते हुए अनुशासन का महत्त्व भी समझाया। सबसे अंत में प्राचार्य महोदय ने अध्यक्ष महोदय का और आमंत्रितों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की। अंत: विद्यालय का वार्षिकोत्सव अति उत्तम और उल्लास से भरा हुआ था।


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