Nibandh Lekhan

Nibandh Lekhan - निबंध लेखन

निबंध (Essay) एक गद्य रचना को कहते हैं जिस में हम किसी भी विषय का वर्णन करते हैं। निबंध’ दो शब्दों से मिलकर बना है- "नि" और "बंध"। जिसका अर्थ है अच्छी तरह बंधी हुई वर्णन करना। निबंध के माध्यम से लेखक किसी भी विषय के बारे में अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है। निबंध लिखना और पढ़ना एक महत्वपूर्ण विषय है सभी के लिए। एक श्रेष्ठ निबंध लेखक को विषय का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति होती है। इसलिए एक ही विषय पर हमें अलग-अलग तरीकों से लिखे गए निबंध मिलते हैं। इसीलिए निबंधों के इस महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों का संग्रह तैयार किया है।

Nibandh Lekhan In Hindi - Hindi Nibandh Lekhan

निबंध क्या है ❓ (What is an essay?)

कई लोगो के मन में प्रश्न रहता है कि आखिर निबंध क्या है ? निबंध की परिभाषा क्या है? निबंध शब्द की कई व्याख्या की है जैसे - निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है। या कहिए, किसी एक विषय पर विचारों को क्रमबद्ध कर सुंदर, सुगठित और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं। निबंध एक रचना है जहाँ अनियमित, असीमित और असम्बद्ध का वर्णन है। निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तृत और पांडित्यपूर्ण विचार किया जाता है। निबंध एक रचना है जिसे मन की उन्मुक्त उड़ान द्वारा लिखे जाते है।

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एक सरल निबंध लिखते समय हमें क्या ध्यान में रखना चाहिए ❓

एक सरल निबंध लिखते समय हमें कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए जैसे कि :-

  • अपना हिंदी निबंध का विषय दिए गए विकल्पों में से वो विषय चुने, जिसे आप सही तरीके से सरल भाषा में वर्णन कर सके।

  • हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो।

  • निबंध लिखते समय ध्यान रखिये कि विचारों की पुनरावृत्ति न हो। निबंध को तीन भागों के शीर्षकों में बांटा गया है पहला भाग: परिचय दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द

  • निबंध लिखते समय ध्यान रहे की जहां भी कुछ नए जानकारी रहे उसे आप नए टुकड़े करएक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।

  • अपने लिखित निबंध को आकर्षित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।

  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।

  • यदि आप इन नियमों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंध के अंत में उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बनाने में सफल रहेंगे।

    निबंध के कितने अंग होते हैं ❓ (How many parts does an essay have?)

    निबंध के प्रमुख चार अंग होते है :-

    1. शीर्षक(Title)

    2. प्रस्तावना(Preface)

    3. विस्तार(Detailed)

    4. उपसंहार (Epilogue)

    निबंध की शैली

    निबंध लिखने के लिए दो बातों की आवश्यकता होती है - 'भाव' और 'भाषा'। दोनों समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। बिना संयत भाषा के अभिप्रेत भाव व्यक्त नहीं होता। लिखने के लिए जिस तरह परिमार्जित भाव की आवश्यकता है, उसी तरह परिमार्जित भाषा की भी आवश्यकता होती है। एक के अभाव में दूसरे का महत्व नहीं है। निबंध में भाव और भाषा को समन्वित करने के ढंग को 'निबंध की शैली' कहते है।

    वस्तुतः जहाँ परिमार्जित भाव और परिमार्जित भाषा का मेल होता है, वहीं शैली बनती है। जहाँ दोनों में से किसी एक का अभाव हो, वहाँ शैली का कोई प्रश्र नहीं होता। बुरी शैली वह है, जो पाठक को शब्दों की भूलभुलैया में फँसाये रखती है और अच्छी शैली वह है, जो पाठक को प्रभावित करती है। यहाँ पाठकों के लिए लेखक का अभिप्राय गौण हो जाता है और शब्दों की उलझन से निकलने के उद्योग में उसकी शक्ति का अपव्यय होता है।

    निबंध के कितने प्रकार (शैलियाँ) होते हैं ❓

    निबंध की प्रमुख प्रकार(Types) या शैलियाँ (Styles) निम्नलिखित है :-

    1. वर्णनात्मक निबंध (Descriptive Essay)

    2. विचारात्मक निबंध (Reflective Essay)

    3. भावात्मक निबंध (Affective Essay)

    4. साहित्यिक या आलोनात्मक निबंध (Literary Or Critical Essay)

वर्णनात्मक निबंध -

किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है।किसी ऐतिहासिक, पौराणिक या आकस्मिक घटना का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है।स्थान, दृश्य, परिस्थिति, व्यक्ति, यात्रा, घटना, मैच, मेला, ऋतु, संस्मरण, वस्तु आदि को आधार बनाकर लिखे जाते हैं।वर्णनात्मक निबंध के लिए अपने विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय कोई 'मनुष्य' हो

(a) परिचय (b) प्राचीन इतिहास (c) वंश-परंपरा

(d) भाषा और धर्म (e) सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन (f) उपसंहार

2. यदि विषय कोई 'प्राणी' हो

(a) श्रेणी (b) प्राप्तिस्थान (c) आकार-प्रकार

(d) स्वभाव (e) उपकार (f) विचित्रता एवं उपसंहार

3. यदि विषय कोई 'उद्भिद्' हो

(a) परिचय एवं श्रेणी (b) स्वाभाविक जन्मस्थान (c) प्राप्तिस्थान (d) उपज

(e) पौधे का स्वभाव (f) तैयार करना (g) व्यवहार और लाभ (h) उपसंहार

4. यदि विषय कोई 'स्थान' हो

(a) अवस्थिति एवं नामकरण (b) इतिहास (c) जलवायु (d) शिल्प

(e) व्यापार (f) जाति-धर्म (g) दर्शनीय स्थान (h) उपसंहार

5. यदि विषय 'पहाड़' हो

(a) परिचय (b) पौधे, जीव, वन आदि (c) गुफाएँ, नदियाँ, झीलें आदि

(d) देश, नगर, तीर्थ आदि (e) उपकरण एवं शोभा (f) वहाँ बसनेवाले मानव और उनका जीवन

6. यदि विषय कोई 'वस्तु' हो

(a) उत्पत्ति (b) प्राकृतिक या कृत्रिम (c) प्राप्तिस्थान

(d) किस अवस्था में पाई जाती है (e) कृत्रिमता का इतिहास (f) उपसंहार

7. यदि विषय 'ऐतिहासिक' हो

(a) घटना का समय एवं स्थान (b) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

(c) कारण, वर्णन एवं फलाफल (d) इष्ट-अनिष्ट की समालोचना एवं आपका मंतव्य

8. यदि विषय 'जीवन-चरित्र' हो

(a) परिचय, जन्म, वंश, माता-पिता, बचपन (b) विद्या, कार्यकाल, यश, पेशा आदि (c) देश के लिए योगदान

(d) गुण-दोष (e) मृत्यु, उपसंहार (f) भावी पीढ़ी के लिए उनका आदर्श

9. यदि विषय 'भ्रमण-वृत्तांत' हो

(a) परिचय, उद्देश्य, समय, आरंभ (b) यात्रा का विवरण (c) हानि-लाभ

(d) सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक (e) कला-संस्कृति का विवरण (f) समालोचना एवं उपसंहार

10. यदि विषय 'आकस्मिक घटना' हो

(a) परिचय (b) तारीख स्थान एवं कारण (c) विवरण एवं अन्त

(d) फलाफल (e) समालोचना (f) उपसंहार

विचारात्मक निबंध -

किसी गुण, दोष, धर्म या फलाफल का वर्णन विचारात्मक निबंध कहलाता है। इस निबंध में किसी देखी या सुनी हुई बात का वर्णन नहीं होता; इसमें केवल कल्पना और चिंतन शक्ति से काम लिया जाता है। विचारात्मक निबंध उक्त दोनों प्रकारों से अधिक श्रमसाध्य होता है। अतएव, इसके लिए विशेष रूप से अभ्यास की आवश्यकता होती है। इस तरह के निबंध-लेखन के लिए छात्रों को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, श्यामसुन्दर दास, श्री हरि दामोदर आदि प्रबुद्ध लेखकों की रचनाएँ पढ़नी चाहिए। विचारात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलखित विभागों में बाँटना चाहिए -

  • (a) अर्थ, परिभाषा, भूमिका और परिचय

  • (b) सार्वजनिक या सामाजिक, स्वाभाविक या अभ्यासलभ्य कारण

  • (c) संचय, तुलना, गुण एवं दोष

  • (d) हानि-लाभ

  • (e) दृष्टांत, प्रमाण आदि

  • (f) उपसंहार

भावात्मक निबंध -

वसंतोत्सव, चांदनी रात, बुढ़ापा, मेरी अभिलाषा, बरसात का पहला दिन, यदि मैं प्रधानमंत्री होता, मेरे सपनों का भारत आदि पर अपनी भावना व्यतीत करना भावात्मक निबंध कहलाता है। इसमें कल्पनात्मक निबंध भी आते हैं।

उदहारण -

  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता

  • यदि में शिक्षक होता

  • यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होती

  • मेरी अभिलाषा

  • सैनिक की आत्मकथा

  • पेड़ की आत्मकथा

  • एक किसान की आत्मकथा

  • एक बूढ़े की आत्मकथा

  • एक अनाथ बालक की आत्मकथा

साहित्यिक या आलोनात्मक निबंध -

किसी साहित्यकार, साहित्यिक विधा या साहित्यिक प्रवृत्ति पर लिखा गया निबंध साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध कहलाता है जैसे मुंशी प्रेमचंद, तुलसीदास, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। इसमें ललित निबंध भी आते हैं। इनकी भाषा काव्यात्मक और रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।

उदहारण -

  • साहित्य का स्वरूप

  • साहित्य का महत्त्व

  • साहित्य का उद्देश्य

  • साहित्यकार का दायित्व

  • हिन्दी साहित्य में छायावाद

  • हिन्दी साहित्य में रहस्यवाद

  • हिन्दी साहित्य में प्रगतिवाद

  • हिन्दी साहित्य में प्रयोगवाद

  • स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी उपन्यास

  • राष्ट्र-निर्माण में साहित्य का योगदान

निबंध की विशेषताएं क्या ❓ (What are the features of essay?)

निबंध की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-

  • निबंध के लेखक का व्यक्तित्व प्रतिफल होना आवश्यक है।

  • निबंध की भाषा विषय के अनुरूप होनी चाहिए।

  • विचारों में परस्पर तारतम्यता होनी चाहिए।

  • विषय से सम्बंधित सभी पहलुओं पर निबंध में चर्चा की जानी चाहिए।

  • वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए तथा उसमें विराम चिन्हों का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।

  • निबंध अधिक विस्तृत न होकर संक्षेप में होना चाहिए ।

  • निबंध की भाषा सरल होनी चाहिए।

व्यक्तित्व का प्रकाशन :-

निबंध रचना का प्रथम लक्ष्य हैं, 'व्यक्तित्व का प्रकाशन'। निबंध में निबंधकार अपने सहज स्वाभाविक रूप से पाठक के सामने प्रकट होता है। वह पाठकों से मित्र की तरह खुलकर सहज वार्तालाप करता है। यही कारण है कि मैदान की स्वच्छ हवा में कुछ देर टहलने से चित्त को जिस प्रसत्रता और उत्साह की प्राप्ति होती है, निबंध पढ़ने पर मन को वैसा ही आह्यद होता है। अतः निबंध की सर्वप्रथम विशेषता है - व्यक्तित्व का प्रकाशन।

संक्षिप्तता :-

निबंध की दूसरी विशेषता है, 'संक्षिप्तता'। निबंध जितना छोटा होता है, जितना अधिक गठा होता है, उसमें उतनी ही सघन अनुभूतियाँ होती है और अनुभूतियों में गठाव-कसाव के कारण तीव्रता रहती है। फलतः निबंध का प्रभाव पाठक पर सर्वाधिक पड़ता है। निबंध की सफलता-श्रेष्ठता उसकी संक्षिप्तता है जो शब्दों का व्यर्थ प्रयोग निबंध को निकृष्ट बनाता है। अतः निबंध की दूसरी विशेषता है - संक्षिप्तता।

एकसूत्रता :-

श्रेष्ठ और सरल निबंध की तीसरी विशेषता है, 'एकसूत्रता'। कुछ लोगों के विचारानुसार निबंध में क्रम अथवा व्यवस्था की आवश्यकता नहीं। ऐसा कहना ठीक नहीं। निबंध में निबंधकार स्वयं को अभिव्यक्त करता है, साथ ही उसमें भावों का आवेग भी रहता है। फिर भी, निबंध में वैयक्तिक विशेषता का यह अर्थ कदापि नहीं होता कि निबंधकार पागलों की तरह अर्थहीन, भावहीन प्रलाप करें, बल्कि सफल निबंधकार में चिन्तन का प्रकाश रहता है।

आचार्य शुक्ल के शब्दों में, व्यक्तिगत विशेषता का मतलब यह नहीं कि उसके प्रदर्शन के लिए विचारों की श्रृंखला रखी ही न जाय या जानबूझकर उसे जगह-जगह से तोड़ दिया जाए, बल्कि भावों की विचित्रता दिखाने के लिए अर्थयोजना की जाए, जो अनुभूति के प्रकृत या लोकसामान्य स्वरूप से कोई संबंध ही न रखे। अतः श्रेष्ठ और सरल निबंध की तीसरी विशेषता है - एकसूत्रता ।

अन्विति का प्रभाव :-

निबंध की अंतिम विशेषता है, 'अन्विति का प्रभाव' (Effect of Totality) । जिस प्रकार एक चित्र की अनेक असम्बद्ध रेखाएँ आपस में मिलकर एक सम्पूर्ण चित्र बना पाती है अथवा एक माला के अनेक पुष्प एकसूत्रता में ग्रथित होकर ही माला का सौन्दर्य ग्रहन करते हैं, उसी प्रकार निबंध के प्रत्येक विचारचिन्तन, प्रत्येक भाव तथा प्रत्येक आवेग आपस में अन्वित होकर सम्पूर्णता के प्रभाव की सृष्टि करते हैं। अतः निबंध की अंतिम विशेषता है - अन्विति का प्रभाव।

निबंध के भाग (What are the parts of essay?)

मुख्य रूप से निबंध के निम्नलिखित तीन भाग होते हैं :

(1) प्रारंभ या भूमिका - यह निबंध के प्रारंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है। निबंध का आरंभ आकर्षक और स्वाभाविक होना चाहिए। इसमें विषय का परिचय दिया जाता है। निबंध का प्रारंभ निबंध के विषय से संबंधित होना चाहिए। अच्छा प्रारंभ आधी सफलता का सूचक है।

(2) मध्यभाग - निबंध का यह भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस भाग में तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं। इस भाग में विषय-संबंधी महत्वपूर्ण बातों को प्रत्येक अनुच्छेद में प्रस्तुत करना चाहिए।

(3) उपसंहार या अंत - यह निबंध के अंत में लिखा जाता है। अच्छे निबंध का अंत भी प्रारंभ की तरह ही अत्यंत स्वाभाविक होना चाहिए। इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है। इस भाग में पूरे निबंध का तात्पर्य दो-तीन वाक्यों में लिखना चाहिए।

निबंध का क्या अर्थ है ❓ (What does the essay mean?)

निबंध गद्य रचना को कहते हैं किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। निबंध के माध्यम से हम उस विषय के बारे में लिखते है जिसे हम सुनते, देखते व पढ़ते हैं, जैसे- प्रिय विषय, धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विज्ञान और तकनीकी, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, स्वास्थ्य, मौसम, आदि जैसे विषय पर अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करते है।

हिन्दी का 'निबंध' शब्द अंग्रेजी के 'Essay' शब्द का अनुवाद है। अंग्रेजी का 'Essay' शब्द फ्रेंच 'Essai' से बना है। Essai का अर्थ होता है- 'To attempt', अर्थात 'प्रयास करना' । 'निबंध' में 'निबंधकार' अपने सहज, स्वाभाविक रूप को पाठक के सामने प्रकट करता है। आत्मप्रकाशन ही निबंध का प्रथम और अंतिम लक्ष्य है। निबंध विचारों, उद्धरणों एवं कथाओं का सम्मिश्रण है।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार निबंधकार की आत्माभिव्यक्ति ही निबंध की प्रमुख विशेषता है। उनके शब्दों में- ''आधुनिक पाश्र्चात्य लक्षणों के अनुसार निबंध उसी को कहना चाहिए, जिसमें व्यक्तित्व अर्थात व्यक्तिगत विशेषता हो।'' उनके कहने का तात्पर्य यह है कि निबंध में निबंधकार खुलकर पाठक के सामने आता है। कोई दुराव नहीं,किसी प्रकार का संकोच अथवा भय नहीं अर्थात वह जो कुछ अनुभव करता है, उसे अभिव्यक्ति कर देता है। मानो हरिद्वार से गंगा की धारा फूटती हो तो सीधे उछलती-कूदती, अनेक विचार-पत्थरों, चिन्तन-कगारों से टकराती प्रयाग में आकर सरस्वती और यमुना के साथ मिलती हो।

इसीलिए कहते है कि निबंध के विषय की कोई सीमारेखा नहीं है। हम जितना चाहे किसी भी विषय को अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त कर सकते है।

निबंध का स्वरूप (Essay format in hindi)

(1) विषय का चुनाव : विषय का सही से चुनाव करना एक निबंधकार अथवा विद्यार्थी के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसीलिए दिए गए विषयों में से किसी एक विषय को सावधानी से चुन लीजिए। कुछ विद्यार्थी जल्दी में किसी भी विषय पर निबंध लिखना प्रारंभ कर देते हैं, किंतु १०-१२ पंक्तियाँ लिखने के बाद वे आगे नहीं लिख पाते और उस निबंध को अधूरा छोड़कर दूसरे विषय पर लिखना शुरू कर देते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को भलीभाँति विचार कर उसी विषय पर अपनी कलम चलानी चाहिए, जिस पर लिखने के लिए उनके पास पर्याप्त ज्ञान हो।

(2) रूपरेखा : निबंध का विषय चुनने के बाद उसकी कच्ची रूपरेखा उत्तरपुस्तिका के अंतिम पृष्ठ पर तैयार कर लेनी चाहिए। रूपरेखा से निबंध की लंबाई अथवा निबंध कितनी बड़ी होगी उसका अंदाज़ा आपको लग जाएगा। यदि लंबाई अधिक जान पड़े तो कम महत्त्व के मुद्दों (Points) को छोड़ दें।

(3) रूपरेखा का विस्तार : रूपरेखा भलीभाँति तैयार करने के बाद उसके मुद्दों का क्रमश: उचित विस्तार में लिखना चाहिए।

यहाँ हम एक छोटा-सा निबंध का रूपरेखा का विस्तार का नमूना बताते बताते है -

(अ) प्रारंभ या भूमिका : प्रारंभ या भूमिका- यह निबंध के प्रारंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है। निबंध का आरंभ आकर्षक और स्वाभाविक होना चाहिए। इसमें विषय का परिचय दिया जाता है। निबंध का प्रारंभ निबंध के विषय से संबंधित होना चाहिए। अच्छा प्रारंभ आधी सफलता का सूचक है।

प्रारंभ या भूमिका के कुछ तरीके -

  • विषय की व्याख्या देकर,
  • विषय का महत्व स्पष्ट करते हुए,
  • वर्तमान परिस्थिति में विषय की चर्चा से,
  • किसी संबंधित प्रसंग के उल्लेख से,
  • किसी कहानी या संवाद के अंश से,
  • किसी कहावत या लोकोक्ति से,
  • किसी अवतरण से,
  • किसी काव्य पंक्ति से।

(ब) मध्यभाग : निबंध का यह भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस भाग में तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं। इस भाग में विषय-संबंधी महत्वपूर्ण बातों को प्रत्येक अनुच्छेद में प्रस्तुत करना चाहिए।

उपसंहार या अंत : यह निबंध के अंत में लिखा जाता है। अच्छे निबंध का अंत भी प्रारंभ की तरह ही अत्यंत स्वाभाविक होना चाहिए। इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है। इस भाग में पूरे निबंध का तात्पर्य दो-तीन वाक्यों में लिखना चाहिए।

निबंध, प्रबन्ध और लेख (Difference between essay and article?)

निबंध, प्रबन्ध और लेख कई लोगों को इन तीनों में अंतर समझ नहीं आता है। मेरे विचारानुसार निबंध, प्रबन्ध और लेख में स्पष्ट अंतर हैं।

निबंध में निजी अनुभूति और विचार का प्राधान्य रहता हैं और प्रबन्ध में समाजशास्त्र, लोकसंग्रह और पुस्तकीय ज्ञान का रहते है। प्रबन्धकार अपने बारे में कुछ नहीं कहता, किन्तु निबंधकार अपनी पसंद-नापसंद, आचार-विचार के संबंध में खुलकर पाठकों से विचार विमर्श करता हैं। प्रबन्ध में व्यक्तित्व उभरकर नहीं आता। लेखक परोक्ष रूप में रहकर अपनी ज्ञानचातुरी, दृष्टिसूक्ष्मता, प्रकाशन-पद्धति और भाषाशैली उपस्थित करता हैं। प्रबन्ध की भाषा और शैली प्रौढ़, गंभीर और नपी-तुली होती हैं, किन्तु निबंध की लेखनशैली रमणीय और स्वच्छ्न्द होती हैं। प्रसादगुण निबंध की आत्मा हैं। भावगीतों की तरह निबंध भी सुगम और सरस होता हैं। प्रबन्ध के विषय गंभीर और ज्ञानपूर्ण होते हैं, किन्तु निबंध का विषय कोई प्रसंग, भावना या कोई क्षुद्र वस्तु या स्थल बनता हैं, क्योंकि यहाँ विषय की अपेक्षा विषयी (निबंधकार) अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं।

'निबंध' और 'प्रबन्ध' की तरह 'निबंध' और 'लेख' में भी अंतर हैं। निबंध और लेख दोनों दो भित्र साहित्यक विधाएँ हैं। 'लेख'को अँगरेजी में 'Article' कहते है और पत्र, समाचारपत्र, विश्र्वकोश इत्यादि में पायी जानेवाली वह रचना, जो विषय का स्पष्ट और स्वतंत्र निरूपण करती हैं, वह 'लेख' कहलाती हैं। प्रबन्ध की तरह लेख भी विषयगत होता हैं। इसमें 'लेखक' की आत्माभिव्यक्ति का आभाव नहीं रहता, पर उसकी प्रधानता भी नहीं रहती, जबकि आत्माभिव्यक्ति निबंध का लक्ष्य हैं।

निबंध लिखते समय कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी जरूरी है -What are the points to keep in mind while writing the essay ?

  • निबंध में भिन्न-भिन्न मुद्दों के लिए नया अनुच्छेद (पैराग्राफ) होना चाहिए। आम तौर पर निबंध चार या पाँच अनुच्छेदों में लिखा जाता है।

  • एक अनुच्छेद में एक ही विचार की चर्चा होनी चाहिए। उसमें परस्परविरोधी विचारों को स्थान नहीं देना चाहिए।

  • प्रत्येक विचार और परिच्छेद दूसरे विचार और परिच्छेद से संबंधित हो।

  • एक ही वाक्य घुमा-फिराकर बार-बार न लिखी जाए, क्योंकि ऐसी पुनरुक्ति करने से निबंध शिथिल और नीरस बन जाता है।

  • निबंध में केवल विषय से संबंधित बातों की ही चर्चा करनी चाहिए।

  • निबंध-लेखन में व्याकरण की गलतियाँ नहीं होनी चाहिए। लिंग, वचन, कारक आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

  • वर्तनी और विरामचिह्नों की ओर भी पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। यदि किसी शब्द की वर्तनी-वर्णविन्यास में शंका हो, तो उसके पर्याय (समानार्थी शब्द) का प्रयोग करना चाहिए।
  • निबंध में अप्रचलित या अत्यंत कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वाक्य सरल, सुबोध और छोटे-छोटे होने चाहिए।

  • मुहावरों का उचित प्रयोग करना चाहिए। अलंकार, मुहावरे-कहावत, अवतरण आदि का प्रयोग उचित स्थान पर उचित मात्रा में करना चाहिए।

  • प्रारंभ से अंत तक पूरे निबंध की लिखावट स्वच्छ और सुंदर होनी चाहिए। निबंध समाप्त होने के बाद एक बार शुरू से अंत तक पढ़ ले ताकि कोई भी शब्द में चूक हो तो उसे आप सही कर अंत में एक सूंदर निबंध तैयार कर सके।

  • निबंध लिखने के लिए आवश्यक तैयारी -Essay preparation for exam

    निबंध लिखने में कुशलता प्राप्त करने के लिए दो बातें आवश्यक हैं :

    (1) निबंध के स्वरूप से परिचित होना और (2) उचित विचार-सामग्री का समावेश करना।

    विचार सामग्री प्राप्त करने के लिए आवश्यक सूची -

    (१) निरीक्षण : निबंध के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने का प्रमुख साधन है निरीक्षण अर्थात 'देखने वाली आँख'। निरीक्षण शक्ति का अभाव के कारण दिन-प्रतिदिन दिखाई देने वाली चीजों के बारे में भी आम तौर पर विद्यार्थी दो-चार खास बातों के सिवा और कुछ नहीं बता सकते। निरीक्षण का अर्थ केवल देखना नहीं है। निरीक्षण से यह तात्पर्य है कि जिस चीज या घटना को हम देखें, उसके बारे में सभी बातें को गौर से समझे।

    उदाहरण के लिए -

    जब हम चिड़ियाघर देखें तो यह जान लें कि :

    • चिड़ियाघर कहाँ है ?
    • उसका क्या नाम है ?
    • उसमें कितने विभाग हैं ?
    • उसका विस्तार कितना है ?
    • कौन-कौन-से जानवर खतरनाक है ?
    • उसके आस-पास का वातावरण कैसा है ?
    • प्रत्येक विभाग की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?
    • उसमें कौन-कौन-से पक्षी, जानवर आदि हैं ?
    • वहाँ आने वाले लोग कैसे हैं और वे क्या कर रहे ?
    • चिड़ियाघर का वातावरण मनुष्य के मन पर क्या प्रभाव डालता है ?
    • आदि ।

    • भिन्न-भिन्न चीजों को भी इसी प्रकार की सूक्ष्म दृष्टि से देखना चाहिए।

      निरीक्षण करने के तरीके -

      • नदी, सागर, पर्वत, बगीचा, जंगल आदि स्थानों के चारों ओर फैली हुई प्रकृति की अनुपम सुंदरता के दर्शन कीजिए।

      • सूर्योदय, मध्याह्न, सूर्यास्त, अंधकार, पूनम की रात आदि के सौंदर्य का आनंद उठाइए।

      • वर्षाऋतु की छटा देखिए, वसंत की बहार निरखिए, पतझड़ की करुण पुकार सुनिए। विभिन्न ऋतुओं में होने वाले परिवर्तनों की तुलना कीजिए।

      • ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।

      • होली, दीवाली, दशहरा, रक्षाबंधन आदि त्योहारों से जुड़ी हुई कथाओं की जानकारी प्राप्त कीजिए। भिन्न-भिन्न त्योहार किस तरह मनाए जाते हैं, इसका ध्यान रखिए।

      • शहरों की शोभा देखिए और गाँवों का गौरव परखिए।

      (2) पर्यटन : यह निबंध की सामग्री एकत्र करने का दूसरा साधन है। पर्यटन द्वारा हमें अनेक वस्तुओं, स्थानों और व्यक्तियों को प्रत्यक्ष देखने और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है। बस, रेल या हवाई जहाज से यात्रा किए बिना यात्रा के अनुभवों को सही रूप में कागज पर उतारना कठिन होता है। पर्यटन के माध्यम से हमें धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक आदि सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है।

      (3) स्वाध्याय : विचार-सामग्री जुटाने में स्वाध्याय का भी बहुत महत्व होता है। स्वाध्याय से हमारी सूझ और समझदारी बढ़ती है, हमें भाषाशैली का ज्ञान प्राप्त होता है और साथ-ही-साथ हमारा मनोरंजन भी होता है। हमें ऐसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए जिनमें संसार के कर्मवीरों का यशोगान हो, उन्नत जातियों का गौरवपूर्ण तथा ओजस्वी इतिहास हो, यात्रियों की यात्राओं का रोचक वृत्तांत हो और वैज्ञानिक अनुसंधानों का विवरण हो। ऐसे विषय हमारे बौद्धिक विकास में सहायक होंगे और हमारी लेखनशक्ति को विकसित करेंगे। हमें नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए जहाँ कहीं भी कोई उपयोगी चीज मिले, चाहे वह उत्तम विचार हो, अच्छे शब्द हों, मुहावरा या कहावत हो।

      (4) सत्संग : हमारे बौद्धिक एवं चारित्रिक विकास में सत्संग का बहुत महत्व है। सज्जनों की संगति और उनके साथ वार्तालाप करने से हमें जीवन के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें मालूम होती हैं और हमारे ज्ञान का विकास होता है। इसके फलस्वरूप हमारी लेखनशक्ति को नई दिशा मिलती है। इस प्रकार विद्यार्थियों तथा निबंधकार के लिए उपर्युक्त बातें बहुत उपयोगी ह और विद्यार्थियों तथा निबंधकारों को इनसे लाभ उठाना चाहिए।

      परीक्षा भवन में निबंध लिखते समय ध्यान में रखने योग्य बातें - What are the things to keep in mind while writing the essay in exam hall ?

      (1) निबंध प्रश्नपत्र के अन्य प्रश्नों से पहले या अंत में कभी नहीं लिखना चाहिए। निबंध विषय पर सोचने में काफी समय निकल जाता है और अन्य प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए कम समय बच जाता है।

      बहुत-से विद्यार्थी निबंध को अंत में लिखते हैं। इसका परिणाम प्रायः यह होता है कि उन्हें जल्दबाजी करनी पड़ती है। पूरा समय न रहने पर घबराहट होती है और विषयवस्तु एवं भाषाशैली की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा सकता। इसलिए निबंध जैसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न में उन्हें बहुत कम अंक मिलते हैं। कभी-कभी समय की कमी के कारण निबंध अधूरा ही छोड़ देना पड़ता है। इसलिए निबंध सबसे पहले या अंत में नहीं लिखना चाहिए।

      इसीलिए निबंध मध्य में अर्थात दूसरे घंटे की शुरुआत में ही लिखना उचित रहता है।

      (2) निबंध का चुनाव, रूपरेखा, विस्तार, अंत, भाषा, परिच्छेद, भाषा-शुद्धि, लंबाई आदि के विषय में दी गई सूचनाओं का पालन करना चाहिए।

      (3) निबंध लिखने के बाद उसे एक बार फिर से अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए, ताकि कहीं कोई गलती हो तो उसे सुधारा जा सके और अंत में उत्तम निबंध पेश कर सके।

      (4) निबंध के लिए ५-१० अंक रखे जाते है, इस दृष्टि से निबंध लगभग पंद्रह मिनट से आधे घंटे के अंदर में पूरा लिखना चाहिए।