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ठंडी के मौसम को जाड़े की ऋतु कहते हैं। इसे सर्दी या शीतकाल भी कहा जाता है। नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी जाड़े के महीने हैं। जाड़े के दिनों में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। दिन में ठंडी हवा चलती है। सूरज डूबने के बाद ठंड का जोर बढ़ जाता है। रात में लोग मोटी रजाई या कंबल ओढ़कर सोते हैं।
जाड़े में दिन छोटे हो जाते है और रात लम्बी हो जाती है। सूर्य का तेज भी शीत में क्षीण हो जाता है। सर्दी के मौसम में पाचन शक्ति बहुत ही मजबूत होती है। त्वचा का विशेष ध्यान रखना होगा क्यूंकि सर्दी के मौसम में त्वचा रुखी और सफ़ेद हो जाती है। जाड़े की ऋतु में शरीर में चुस्ती रहती है और शरीर स्वस्थ रहता है।
जाड़े में सुबह हर तरफ कोहरा छाया रहता है। दूर की चीजें साफ दिखाई नहीं देतीं। सूरज निकलने पर कोहरा छंट जाता है। जाड़े में सुबह धूप बड़ी सुहावनी लगती है।
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