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एक दिन माँ ने मुझसे पूछा, "बड़ा होकर तू क्या बनना चाहता है ?'' मैंने तुरंत जवाब दिया, “मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ।
सचमुच, मेरी इच्छा डॉक्टर बनने की है। डॉक्टर मरीजों का इलाज करता है। मरीज उसके पास रोते हुए आते हैं और हँसते हुए लौटते हैं।
देश का गरीब वर्ग इन बीमारियों से परेशान हो रहा है। मैं चाहता हूं कि मैं डॉक्टर बनकर ऐसे मरीजों का इलाज करूं और उन्हें रोगमुक्त करूं। इस तरह मैं डॉक्टर बनकर जनसेवा का सुनहरा अवसर प्राप्त करूंगा। आज हमारे गांव को डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है। आज के नए डॉक्टर अक्सर शहरों में ही रहना पसंद करते हैं, लेकिन मैं तो गरीबों की सेवा करना चाहता हूं। इसलिए गांव का डॉक्टर बनने में मुझे जरा भी हिचकिचाहट ना होगी। मैं अपने इलाज से गांव के लोगों का दुख दूर कर दूंगा। लोग मेरे पास रोते-कराहते आएंगे और हंसते-मुस्कुराते हुए जाएंगे। उनकी उस खुशी में ही मुझे अपनी खुशी मिल जाएगी।मैं डॉक्टर बनकर बीमार लोगों का इलाज करूँगा। मैं मरीजों को अच्छी दवा दूंगा, जिससे वे जल्दी स्वस्थ हो जाएँ।
सचमुच डॉक्टर बनना मेरे लिए बड़े गौरव और आनंद की बात होगी। क्या जनसेवा के द्वारा प्रभु सेवा करने की मेरी है आकांक्षा पूर्ण हो सकेगी? यदि मैं डॉक्टर बन सका, तो मुझे बहुत खुशी होगी।
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