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रुपरेखा: गाँव का अर्थ - गाँव के लोग - गाँव की सुंदरता - गाँव की पंचायत - गाँव की व्यवस्था - गाँव की विकास - गाँव का व्यवसाय - उपसंहार।
गाँव का अर्थभारत को गाँवों का देश कहा जाता है। भारत की सत्तर प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है। जहाँ की जनसँख्या कुछ सौ से लेकर हजार तक की होती है उसे गाँव कहते है। जहाँ मानव की छोटी-छोटी बस्तियाँ के रूप में उनका घर रहता है उसे गाँव कहते है। गाँव भारत की संस्कृति और सभ्यता के प्रतिक है। भारतीय गाँव प्रकृति अवं सौंदर्य का वरदान है।
गाँव के लोगगाँवों के लोगों का जीवन नगरो में रहने वाले लोगों से बिलकुल अलग होता है। गाँव के लोगों का जीवन बड़ा ही सरल रहता है। गाँव के लोग कड़ी मेहनत और परिश्रम करके भारत के अन्य नागरिको लिए अनाज उगाते हैं। वहाँ के लोग सदियों से परंपराओं के आधार पर अपना जीवन जीते आ रहे हैं तथा सामाजिक संबंध व्यवस्था, भाईचारे और सहयोग के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। गाँवों में हमे भारतीय संस्क्रति, सभ्यता और निष्ठां देखने को मिलता है। गाँव में एक दूसरे के प्रति लोगों के मन में निस्वार्थ, निष्ठा और प्रेम की भावना रहती है।
गाँव की सुंदरतागाँव की सुंदरता का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। गाँव में चारों और वृक्ष की हरयाली नजर आती है। गाँव में एक विशाल तालाब देखने को मिलता है। गाँव में आधा प्रतिशत जमीन खेतो से ढका रहता है जहाँ अन्य का खजाना उगता है। गाँव के नदी का तो कोई जवाब नहीं जहाँ की पानी की पवित्रता वहा के लोगों को लम्बी आयु प्रदान करती है। गाँव में करीब हर घर में एक पालतू पशु रहता है तथा घर में एक बड़ा सा आँगन घर की शोभा बढ़ा देती है।
गाँव की पंचायतगाँव का प्रत्येक कार्य गाँव की पंचायत के द्वारा किया जाता है। गाँव में कई पंचों के साथ एक सरपंच होता है जो गाँव का देख रेख करते है। गाँव में कभी पुरुष और महिला में भेदभाव नहीं किया जाता है यही कारन है की अब गाँव में महिलाएं भी सरपंच बनती है तथा अपने गाँव को उनत्ति की और ले जाती है। गाँव की पंचायत हमेशा गाँव के हित में रहकर फैसला सुनाते है। और गाँव के लोग भी बिना बात काटे सरपंच के फैसले को स्वीकार करते है।
गाँव की व्यवस्थागाँव में गाँव वासियों के लिए एक छोटासा अस्पताल होता है तथा डॉक्टर और नर्सों का रहने का वयवस्था गाँव के सरपंच द्वारा किया जाता है। जिस परिवारों के पास अस्पताल के दवाइयां तथा डॉक्टर को इलाज का खर्च देने के लिए रकम नहीं रहता उनका खर्च गाँव की सरपंच अदा करती है। गाँव में एक डाकघर भी होता है जहाँ पोस्ट मास्टर का कार्यालय होता है। जब भी गाँव का सदस्य शहर जाता है तो वे पत्र के जरिये अपने परिवारों को संदेश पहुंचते है जिसे डाकिया सम्मानपूर्वक उनका खत उनके परिवारों को पहुंचाते है। लोगों की जन सेवा के लिए गाँव में टेलीफोन की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई होती है क्यूंकि गाँव के अधिक लोगों के पास मोबाइल यंत्र नहीं होते। गाँव में एक विद्या मंदिर होती है जहाँ बच्चे रोज सुबह ज्ञान प्राप्त करने जाते है। विद्यालय से लगकर एक मैदान भी होता है जहाँ गाँव के बच्चे तथा युवक खेलने जाते है और शरीर को तंदरुस्त रखते है। गाँव में हर त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है तथा हर त्यौहार सभी परंपरा के साथ सम्पूर्ण किया जाता है। त्योहारों में मेला का भी आयोजन होता है जहाँ गाँव के महिलाएं अपने बच्चों के साथ देखने जाती है। सचमुच गाँव छोटासा होने पर भी हर सुविधाएं तथा व्यवस्था को उपलब्ध कराया जाता है। बच्चों के पढने के लिए सरकारी स्कूल भी बनवाये गये हैं। बच्चों को उचित शिक्षा व्यवस्था के लिए शिक्षा समिति का भी गठन किया गया है तथा गरीब लोगों की मदद करने के लिए एक अलग से समिति का गठन किया।
गाँव की विकासआज के दौर में गाँव की विकास अवं उनत्ति बहुत ज़रूरी है। कई जगह सरकार गाँव की विकास के लिए अस्पताल, शौचालय, विद्यालय का निर्माण कर रही है। कई जगह सरकार कच्चे मकानों में रहने वाले के लिए पक्के मकानों की व्यवस्था की जा रही है। गाँव के किसान के लिए खेत में लगने वाले बीज, दवाइयां का मुफ्त में उपलब्धि कराई जा रही है। किसानों तथा अन्य लोगों के ऋण की व्यवस्था भी की जा रही है। कृषि के विकास के लिए सहकारी समिति से ऋण दिया जाता है। किसानों को बीज और खाद भी सहकारी समिति ही देती है। गाँव में सभी को साक्षर बनाने के लिए शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है। शहर से ज्यादा गाँव में स्वछता का ध्यान दिया जाता है यही कारन है गाँव के वासियों की आयु तथा शरीर लम्बे समय तक स्वस्त रहते है।
गाँव का व्यवसायगाँव के लोगों का व्यवसाय कृषि करना और पशुपालन करना अधिक देखा जाता है। गाँव के किसान आधुनिक ढंग से बनाए गये कृषि के यंत्रों का प्रयोग करते हैं। गाँव में बैलों की जगह अब ट्रैक्टरों का प्रयोग किया जाता है। अच्छे किस्म के बीजों को प्रयोग खेतो में अधिक फसलों के लिए किया जाता है। गाँव में अब अच्छी नस्लों वाली भैसों और गायों का पालन किया जाता है। गाँव में अधिकतर लोग दूध बेचकर अपना घर चलाते है। आज गाँव में लगभग हर अनाज की फसलें होती है जैसे गेंहूँ, चावल, गन्ना, ज्वार, बाजरा सरसों, मक्का आदि अनाज की उत्पन्न होती है।
उपसंहारभारत देश का गाँव एक आदर्श गाँव है तथा गाँव के लोगों का सरलता से रहना उनकी गरिमा की सोभा बढ़ाती है। गाँव के लोग सभी त्यौहार बड़े ही आदर तथा सभी रीति -रिवाजो के साथ एक दूसरे के प्रति निस्वार्थ भाव के साथ मनाते है। भारतीय गाँव प्रकृति अवं सौंदर्य का वरदान है।
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