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दूरदर्शन विज्ञान का अनोखा आविष्कार है। दूरदर्शन हमारा मनोरंजन करता है। इसीलिए आज यह सबका प्यारा बन गया है। दूरदर्शन आधुनिक युग का एक अद्भुत अविष्कार है यह प्रत्येक दिन जो भी घटना घटती है उन्हें प्रसारित करता है। दूरदर्शन को अंग्रेजी में "Television" कहते हैं। 'दूरदर्शन' की स्थापना एक परीक्षण के तौर पर दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को हुई थी। जब दूरदर्शन की शुरुआत हुई थी, उस समय का प्रसारण हफ्ते में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। पहले इसका नाम 'टेलीविजन इंडिया' दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण 'दूरदर्शन' नाम से किया गया।
हमारे घर में भी दूरदर्शन है। हम इस पर मनोरंजन देखते है और समाचार सुनते हैं और घटनाओं को देख भी सकते हैं। हम दूरदर्शन पर कारटून फिल्में और धारावाहिक भी देखते हैं। दूरदर्शन पर तरह-तरह के विज्ञापन आते हैं। आधुनिक दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बन चुका है। अनेक चैनलों के प्रभावी कार्यक्रमों से जनता लाभन्वित होती रहती है। इसके श्रवण-दर्शन से ज्ञानवर्धन और मनोरंजन दोनों ही होता है। विविध केंद्रों से समय-समय पर फिल्म का प्रसारण होता है।
दूरदर्शन के द्वारा शिक्षा का प्रचार प्रसार भी होता है। यह बच्चों का सार्थक शिक्षक है। इसके माध्यम से बच्चों को पाठयक्रम संबंधी ज्ञान, विद्वान व विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा दिया जाता है। आजकल प्रत्येक विषय के लिए दूरदर्शन पाठ्यक्रम निर्धारित है। प्रौढ़शिक्षा पर तरह-तरह के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। समाचारों का प्रसारण विद्यार्थियों, वयस्कों एवं सामान्य जन में विशेष लोकप्रिय है। विज्ञापनों के प्रसारण से व्यापारी वर्ग को तो लाभ होता ही है जनता भी बाजार में आने वाली नए उत्पादन हो को घर बैठे जान जाती है। दूरदर्शन शिक्षा में विद्यार्थियों की दर्शनेन्द्रयां और श्रवणेन्द्रिया दोनों ही एक साथ काम करती हैं। फलत: एक ओर जहां शिक्षा कार्य सरल, प्रभावशाली और यथार्थ परक होता है, वही मनोरंजक भी हो जाता है।
दूरदर्शन से जहां अनेक लाभ है वही उससे हानियां भी है। यदि इसका उपयोग सही तारीको एवं नीतियों के तहत राष्ट्रीय हितों के लिए नहीं हुआ तो वह समय दूर नहीं है जब पूरा देश आधुनिकता की आंधी में उड़ने लगेगा। पश्चिमी अंधानुकरण से प्रभावित कार्यक्रमों के प्रसारण से संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दूरदर्शन के कार्यक्रमों ने घर के बच्चों की पढ़ाई को अत्यधिक प्रभावित किया है। बच्चे विद्यालय से दिया गया गृह कार्य व अध्ययन छोड़कर दूरदर्शन पर प्रसारित प्रतिक कार्यक्रम को देखने में संलग्न हो जाते हैं।
वर्तमान समय में दूरदर्शन की उपयोगिता बहुत अधिक है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक मुल्य समाज को सही दिशा देने, संस्कृतियों के संरक्षण एवं संबोधन में अतिसर्वत्र बर्जयेत का फार्मूला अपनाते हुए सही दिशा में दूरदर्शन का प्रयोग किया जाए।
दूरदर्शन अधिक समय तक नहीं देखना चाहिए। इससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। दूरदर्शन नजदीक बैठकर भी नहीं देखना चाहिए। इससे आँखों पर बुरा असर पड़ता है। दूरदर्शन ज्ञान का एक उत्तम साधन है जिससे छात्रों एवं अन्य व्यक्तियों को भरपूर जानकारी प्राप्त होती है।
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