खेल पर निबंध

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रुपरेखा : खेल का परिचय - खेल बिना जीवन - खेलों से आत्म-विश्वास बढ़ना - खेलों के प्रकार - मानव में सहनशीलता - खेलों में उज्वल भविष्य - उपसंहार ।

खेल का परिचय -

खेल एक मानसिक अवं शारीरिक क्रिया है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है। खेल के कई प्रकार होते है, और सारे प्रकार खेलने का तरीका भी अलग अलग होते है। खेल को सबसे ज्यादा बच्चें पसंद करते है। लड़के हो या लडकियां, दोनों ही खेलों रूचि रखते है। खेल हमारे शरीर के हर प्रकार से जुड़ा हुआ है जैसे शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा बौद्धिक स्वास्थ्य। यह हर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। खेल हमारे अंदर प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता लाने का कार्य करता है। इसीलिए आज लगभग हर स्कूलों में खेल खेलना और इनमें भाग लेना विद्यार्थियों के लिए आवश्यक कर दिया गया है। जीवन सौन्दर्य की आत्मा है और खेल उसके प्राण। प्राणों के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है।


खेल बिना जीवन -

खेल के बिना जीवन अधूरा है। खेलमय जीवन ही जागृति है और जीवन का सुधार है, इसीलिए कहते हैं जीवन-दायित्व का खेल है और खेल में जीवन-दायित्व की प्राण संजीवनी शक्ति है। बिना खेल जीवन में ऐसा लगता है जैसे मनुष्य ने अपने जीवन को अधूरा बना रखा है। खेल मनुष्य के हर अंश को स्वस्थ रखने का कार्य करता है। खेल व्यायाम का ही एकभाग है, जैसे व्यायाम बिना हमारा शरीर दुर्बल हो जाता है उसी तरह खेल बिना हमारा मानसिक अवं शारीरिक भी दुर्बल हो जाता हैं।


खेलों से आत्म-विश्वास बढ़ना -

जीवन आनंद का खेल है । खेल हमारे जीवन में आत्म-विश्वास प्रकट करता है। हमें जीने का तरीका सिखाता है। खेल से लोगों के मन में आत्म-विश्वाश उत्पन्न होता है। एक दूसरे के प्रति खेलने से एक दूसरे एक प्रति मित्रता का भावना उत्पन्न करता है। खेल मनुष्य को एक दूसरे से जुड़े रहने में सहयोग करता है। खेल हमे दर्शाता है की कैसे हमे मिल के कोई कार्य को अंत तक कुशलपूर्वक ले जाना चाहिए। अंत में जीत हासिल कर एक दूसरे के प्रति आदर भावना के साथ खुद के मन में आत्म-विश्वाश को बनाये रखता है।


खेलों के प्रकार -

खेल के वैसे तीन प्रकार होते हैं - मनोविनोद के खेल, व्यायाम के खेल तथा धर्नोपार्जन कराने वाले खेल।

  • मनोरंजन के खेलों में -ताश, शतरंज, कैरमबोर्ड, साँप-सीढ़ी, आदि आते हैं।
  • व्यायाम के खेलों में -एथलेटिक्स, कुश्ती, निशानेबाजी, नौकायन, डॉगीचालन, घूँसेबाजी (बाक्सिंग), भारोत्तोलन (वेटलिपिटंग), साइक्लिग, फेसिंग, जूडो, अश्वारोहण, तीरंदाजी, हॉकी, बालीबॉल, हैंडबॉल, फुटबॉल, टेनिस, टेबलटेनिस, क्रिकेट, खो-खो, कबड्डी आदि आते हैं।
  • धनोपार्जन के लिए खेलों में -सरकस का खेल, जादू के खेल तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले खेल आते हैं।

मनोरंजन के खेल मानसिक व्यायाम का साधन हैं । इनसे मानसिक थकावट दूर होती है तथा नवस्फूर्ति आती है। सत्य संकल्प ईश्वर के प्रति सबसे बड़ी निष्ठा है, जीवन के शुभ और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। व्यायाम के खेलों से शरीर की पुष्टि, माँस-पेशियों के उभार कां ठीक, विभाजन, जठराग्नि की तीव्रता, आलस्यहीनवा, स्थिरता, हलकापन और मल, मूत्र, पसीना आदि कौ नियमित शुद्धि होती है। पाचक रस अधिक निकलने से भूख बढ़ती है। शरीर में ऊर्जा रहती है और मन में उत्साह रहता है।

धनोपार्जन कराने वाले खेलों से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि यश भी मिलता है। हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह। पहलवान ओमबीर सिंह। निशानेबाज सोमा दत्त। क्रिकेटर कपिल देव। दौड़ में जलवे दिखाने वाले मिल्खा सिंह। पुरुष तैगक खजान सिंह। भारतोय तैराकी के वर्तमान स्टार निशा मिलेट। टैनिस जगत्‌ की शान लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी । ओपन बैडमिंटन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले पी. गोपीचन्द। देश का सबसे महँगा फुटबॉल खिलाड़ी बाईचुंग भूटिया। शतरंज में मात्र बारह वर्ष की उम्र में इंटरनेशनल बीमेन्स बैंडमिंटन खिलाड़ी कोनेरू हम्पी। उभरती हुई महिला बैडमिंटन खिलाड़ी अर्पणा पोषट। इन सबने धन के साथ यश भी अर्जित किया है। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जा रहे खेलों में, एशिया और ओलम्पिक खेलों में घन और यश के साथ राष्ट्र-जीवन की गौरवता भी जुड़ जाती है। पदकों को प्राप्ति राष्ट्रों के गौरव और गर्व का परिचायक है।

मानव में सहनशीलता -

खेल में अपने दल के अनुशासन में रहकर साथियों के साथ पूर्ण सहयोग करते हुए खेलने की भावना का उनत्ति होता है। कारण, सहयोग और अनुशासन के बिना खेल में विजय नहीं हो सकते। खेल-कूद से मनुष्य में पूरी ऊर्जा से कार्य करने की लगन जागृत होती है । वह जब कोई खेल खेलता है, तो विजय पाने के लिए अपने अंदर की समस्त शक्तियों को केंद्रित कर लेता है। इसे हम खेल भावना का एक रूप भी कह सकते है।खेलने में चोट लगने पर खिलाड़ो प्रतिशोध लेने की बजाय कष्ट को सहन करता है। इससे मानव में सहनशीलता की भावना बढ़ती है।


खेलों में उज्वल भविष्य -

अगर कोई बच्चा बचपन से ही अपना मन कोई एक खेल में एकाग्रित कर लेता है और उसे सयम से सीखता है तो भविष्य में वो एक विद्यार्थी, एक महान खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बना सकता है। सभी प्रकार के खेलों में उज्वल भविष्य प्राप्ति हो सकती है अगर हम उस खेल में पूरी ऊर्जा के साथ सीखे तथा खेले।


उपसंहार -

सिखने की प्रक्रिया में खेलों का विशेष स्थान है । बच्चों में खेलों द्वारा सीखने की सहज प्रवृत्ति है। बालक खेल- खेल में खड़ा होना, चलना और दौड़ना सीखता है। बालक खेल-खेल में भावी जीवन का विकास करता है। गुड्डे-गुडियों के खेल में बालिका गृहस्थ जीवन की शिक्षा लेती है। सचमुच खेल हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। जो हमारे जीवन में शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा बौद्धिक स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।


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