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रुपरेखा: समाचार पत्र का जन्म - आवश्यकता - देश-विदेश के समाचार - वर्तमान स्थिति - लोकतंत्र का स्तम्भ - पत्र-पत्रिकायें - समाचार संग्रह का प्रमुख साधन - उपसंहार।
समाचार पत्र का जन्मसमाचार पत्र का जन्म सोलहवीं सदी में चीन में हुआ था। पीकिंग गजट विश्व का प्रथम समाचार पत्र था। अंग्रेजों के आगमन के पश्चात् मुद्रण-कला के विकास के साथ-साथ भारत में भी समाचार-पत्र की शुरुवात हुई। भारत का प्रथम समाचार पत्र 'इंडिया गजट' था। इसके बाद ईसाई पादरियों ने समाचार-पत्र निकाले । हिन्दी का पहला पत्र उदन्त-मार्तण्ड 30 मई, 1826 को प्रकाशित हुआ। यह साप्ताहिक था। उनके बाद राजा राममोहन राय ने कौमुदी” और ईश्वरचन्द्र ने प्रभाकर जैसे पत्र निकाले। आजकल तो समाचार-पत्रों की अनेक प्रकार आ गए है।
आवश्यकताआज के युग में समाचार पत्र हमारे जीवन में बहुत आवश्यकता है। कई लोगों की आदत होती है सुबह उठ के सबसे पहले समाचार पत्र पढ़े। और अगर उन्हें पढ़ने ना मिले तो उनका पूरा दिन अच्छा नहीं लगता तथा उनका कामों में मन नहीं लगता। समाचार पत्र के प्रति लोगों के लगाव ने आज देश में कई प्रकार के समाचार पत्र सामने आ रहा है। समाचार पत्र द्वारा हमें घर बैठे पुरे दुनिया की महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है। वैज्ञानिक द्वारा अविष्कारों तथा राष्ट्रों के तनावों, दंगों, हड़तालों के बारे में पढ़ कर हम वर्तमान की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेते है। सचमुच मानव जीवन में समाचार पत्र की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है।
देश-विदेश के समाचारसमाचार पत्र में देश-विदेश के ताजे समाचार तथा शासकीय, व्यापारिक एवं खेलकूद के समाचार लिखे रहते है जिसे पढ़ लोग देश-विदेश के बारे में सक्रिय रहते है। सरकारी आदेश, निर्देश, सूचनाएँ तथा सामाजिक, धार्मिक, राधनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, साहित्यिक तथा सिने-संसार की गतिविधियों की जानकारी लेते है। आकाशवाणी और दूरदर्शन के दिन-भर के कार्यक्रमों का विवरण पढ़ते तथा चलचित्र जगत् का जानकारी प्राप्त करते है। व्यापारिक मण्डियों के भाव, शेयरों के उतार-चढ़ाव, नौकरी के लिए कहाँ स्थान खाली है तथा कौन-सी फिल्म किस सिनेमाघर में लगी है इस तरह के जानकारी के लिए भी समाचार पत्र का प्रथम योगदान है।
वर्तमान स्थितिसमाचार पत्र संसार की वर्तमान स्थिति का दर्पण है। विश्व में घटित घटनाओं का विश्वसनीय प्रलेख है। सत्ता और विरोधी पक्ष के विचारों के गुण-दोष विवेचन का राजहंस है। ज्ञान-वर्धन का सबसे सस्ता, सरल और प्रमुख साधन है। मानवीय जिज्ञासा और उत्सुकता की शांति का साधन है। समाचार पत्र केवल डेढ़-दो रुपए में विश्व-दर्शन करवाता है । हॉकर समाचार पत्र को घर पर डाल जाता है। बिना सुबह भाग-दौड़ किए ही हमें उसकी उपलब्धि हो जाती है । जीवन और जगत् की अद्यतन जानकारी देने वाला विश्वसनीय दूत कहने में कोई हर्ज नहीं होगा। समाचार पत्र के विज्ञापन व्यापार-वृद्धि के प्रमुख साधन हैं। विज्ञापन समाचार-पत्र किसी के लिए आमदनी का साधन भी हैं। संवाददाताओं, फोटोग्राफरों की आमदनी इसी समाचार पत्र से आते है। समाचार पत्र लाखों कर्मचारियों तथा लाखों हॉकरों को रोजी-रोटी देती है। वर्तमान युग में विचारों की तथा बुद्धि की प्रधानता है। सर्वत्र बुद्धिवाद का ही बोलबाला है। तर्कसम्मत और प्रभावी ढंग से विचारों को प्रस्तुत करना ही सफलता की कुंजी है। इसके लिए समाचार पत्र सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
लोकतंत्र का स्तम्भसमाचार पत्र लोकतन्त्र के चौथा स्तम्भ हैं, उसके अगलक प्रहरी हैं। राजनैतिक बेईमानी, प्रशासनिक शिथिलता तथा भ्रष्टाचरण एवं मिथ्यां आश्वासनों और जनता के अहितकर षड्यन्त्रों का पर्दाफाश करते हैं । 1974 से 1977 तक॑ के आपत्कालीन भारतीय काल को चीर देने का श्रेय समाचार-पत्रों का ही था। अमेरिका के वाटरगेट काण्ड का भंडाफोड़ समाचार पत्रों ने ही किया था। चुनावों के खोखलेपन की शल्यक्रिया करने वाले ये समाचार पत्र ही हैं। भारत में प्रजातंत्र के वेश में परिवार तंत्र की स्थापना के प्रति सचेत करने का दायित्व समाचार पत्र का ही था। समाचार पत्र सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक अन्धविश्वासों को दूर कराने में सहायक सिद्ध हुए हैं। अखबार के सम्पादकीय बड़े लोगों के मिजाज ठीक कर देते हैं। ये सरकारी नीति के प्रकाशन तथा सरकार की आलोचना के भी सूंदर साधन हैं। वास्तव में विचारों को स्पष्ट और सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए समाचार पत्र से अधिक अच्छा साधन और कोई नहीं है।
पत्र-पत्रिकायेंसम्पूर्ण भारत में अंग्रेजी में, हिन्दी में, उर्दू में, तमिल में, मराठी में, कननड में तथा मलयालम में दैनिक समाचार पत्र छपते हैं। इनके अतिरिक्त अंग्रेजी सहित सभी भारतीय भाषाओं में साप्ताहिक तथा पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएं छपती हैं। विभिन प्रसारण माध्यमों, जैसे प्रेस विज्ञप्तियाँ, प्रेस नोटों, विशेष लेखों, संदर्भ सामग्री, प्रेस ब्रीफिंग, साक्षात्कारों, संवाददाता सम्मेलनों और प्रेस दौरों आदि की सूचना क्षेत्रीय भाषाओं में आठ हजार समाचार पत्रों तथा समाचार-संगठनों तक पहुँचाता है। कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से दुनियाभर के समाचार पत्रों को भी ये सूचनाएं उपलब्ध हैं।
समाचार संग्रह का प्रमुख साधनसमाचार संग्रह का प्रमुख साधन है । समाचार पत्र कार्यालयों में लगी ये मशीनें रात-दिन समाचारों को टंकित करती रहती हैं | टेलीप्रिण्टर को संचालित करती हैं ये समाचार एजेंसियाँ। ये समाचार संग्रह की विश्व-व्यापी संस्थाएँ हैं तथा इनके अपने संवाददाताओं द्वारा समाचार संग्रह करके टेलीप्रिण्टर द्वारा समाचार पत्रों को भेजती हैं। दैनिक समाचार पत्र नवीनतम दैनिक समाचारों का प्रलेख हैं। पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाएँ विषय- विशेष के रूप को उजागर करती हैं। जैसे राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक आदि समाचार पत्र प्रस्तुत करती हैं।
उपसंहारजैसे मानव में ज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, जीवन और जगत् की जानकारी के प्रति जिज्ञासा जागृत करती है। यह आम जनता के विचारों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है और बहुत से सामाजिक तथा आर्थिक विषयों को सुलझाने में हमारी सहायता करता है। जैसे समाचार पत्र द्वारा हमें घर बैठे पुरे दुनिया की महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है। वैज्ञानिक द्वारा अविष्कारों तथा राष्ट्रों के तनावों, दंगों, हड़तालों के बारे में पढ़ कर हम वर्तमान की सम्पूर्ण जानकारी की प्राप्ति हो जाता है। इसीलिए समाचार पत्र मानव हित के लिए लाभदायक प्रसिद्ध हुआ है।
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