यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर निबंध

ADVERTISEMENT

यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर हिंदी निबंध - यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता पर निबंध - यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो पर निबंध - Essay on If I were the Prime Minister of India in Hindi - If I were the Prime Minister of India Essay in Hindi - Hindi Essay on If I were the Prime Minister - Essay Writing on If I were the Prime Minister of India - Yadi Mein Bharat ka Pradhan Mantri Hota Nibandh

रूपरेखा : प्रस्तावना - पूर्व प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा - प्रधानमंत्री बनना मेरा सौभाग्य - यदि मैं प्रधानमंत्री होता - उद्योग-धंधों और खेती को मजबूत बनाता - देश की कानून व्यवस्था - राजनीतिक सुधार - विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दूंगा - शिक्षा, स्वास्थ्य का उचित प्रबंध - गरीबी की समस्या - जनसंख्या नियंत्रण रखता - अंत:।

प्रस्तावना | पूर्व प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा -

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो जवाहरलाल नेहरू के व्यापक दृष्टिकोण को स्वीकार करता, लालबहादुर शास्त्री की विजय-नीति पर चलता, इंदिरा जी की कूटनीति को अपनाता, मुरारजी भाई का अभयदान देश को देता, सर्वश्री चौधरी चरणसिंह, चन्द्रशेखर, वी.पी.सिंह, देवगौड़ा, गुजराल के अस्थायित्व से इस पद को बचाता तंथा राजीव गाँधी की भावना को समझ कर देश के प्रति देश का कार्य सफलता पूर्वक करना, यदि में प्रधानमंत्री होता तो ये सभी बातें को ध्यान में रखकर में अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेता।

प्रधानमंत्री बनना मेरा सौभाग्य -

जनतंत्र देश में प्रधानमंत्री का विशेष महत्त्व होता है। प्रधानमंत्री ही सभी मंत्रिमंडल का नेता होता है। देश का भविष्य उन्ही के कार्यकुशलता पर ही निर्भर होता है। इसलिए यदि मैं अपने देश का प्रधानमंत्री होता तो मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता, क्योंकि देश की सेवा करने का ऐसा अवसर किसीको भाग्य से ही मिलता है। इसीलिए अगर मुझे देश का प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त होता तो मैं उसे पूरी निष्ठा और लग्न के साथ अपना जीवन देश की विकास और उनत्ति करने मैं लगा देता।

यदि मैं प्रधानमंत्री होता -

आज हमारे देश में करोड़ों लोगों को पेट भरने के लिए भोजन, पहनने के लिए कपड़े और रहने के लिए घर नहीं मिलता। प्रधानमंत्री के नाते में सबसे पहले देश की जनता की इन प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूर्ण प्रयत्न करता। मजदूरों, कारीगरों आदि के कल्याण के लिए तथा निम्न वर्ग के लोगों की दशा सुधारने के लिए मैं विशेष कदम उठता। मैं हर संभव प्रयत्न करता जिससे देश की विकास हो। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो नेहरू जी की तरह राष्ट्रहित में स्वस्थ तटटस्थ विदेशनीति पर चलता । सर्वश्री लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी तथा अटल बिहारी बाजपेयी की तरह ध्मांध और उद्ंड राष्ट्रों को सबक सिखाता। इंदिरा जी की तरह निरपेक्ष राष्ट्रों का राष्ट्राध्यक्ष बनकर विश्व में भारत का नाम उन्‍नत की ओर लेकर जाता।

उद्योग-धंधों और खेती को मजबूत बनाता -

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो देश को उद्योग-धंधों से समृद्ध कर स्वावलम्बी बनाता। लालबहादुर शास्त्री के जय जवान जय किसान के नारे से देश की खेती कर और अधिक उपजाऊ बनाता, ताकि देश की रीढ़ किसान भारत को शस्य-श्यामला रख सकें और अन्न का भण्डार भरपूर रहे। इंदिरा जी की तरह उद्योगों का जाल बिछाता तथा विदेशों में निर्यात को बढ़ावा देकर राष्ट्र की अर्थ नीति को मजबूत करता।

देश की कानून व्यवस्था -

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो कानून और व्यवस्था को मजबूत करना मेरा प्रथम कर्तव्य होता। आतंकवाद से जनता को मुक्त कराने के लिए निस्संकोच युद्ध-स्तर पर सैनिक कार्यवाही करता । पूर्व वित्तमंत्री श्री मनमोहनसिंह के फार्मूले को अपनाकर बहु- औद्योगिक कंपनियों का देश में जाल बिछाता ताकि देश औद्योगिक दृष्टि से समृद्ध हो और बेरोजगारी पर काबू पाया जा सके | उग्रवाद को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए "न होगा बाँस न बजेगी बाँसुरी" के अनुसार इसकी जड़ को ही नष्ट कर देता।

राजनीतिक सुधार -

हमारे देश में आज प्रांतवाद और जातिवाद की घटना बढ़ रहे हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढ़ गया है तथा रिश्वतखोरी, कालाबाजारी, तस्करी और दंगे-फसादों की अब कोई सीमा ही नहीं है। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो इन बुराइयों को दूर करने के लिए कड़ी से कड़ी नियम बनता। किसी भी हालत में देश की एकता को बनाए रखता और देश की प्रगति के लिए पूर्ण निष्ठा से काम करता।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दूंगा -

यदि मैं प्रधानमंत्री होता जो जवाहरलाल जी की तरह विज्ञान को प्रोत्साहन देता । इंदिरा जी की तरह प्रौद्योगिकी (टेक्नोलोजी) का विकास करता तथा अटल जी की तरह जय विज्ञान की घोषणा करता। विश्व के महान्‌ वैज्ञानिक राष्ट्रों की श्रेणी में अपने देश की गिनती करवाता। विज्ञान और टेक्नोलोजी के क्षेत्र में प्रोत्साहन देकर भारत को विश्व का समृद्ध देश बनाता। विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर देश को उज्वल विकास और उनत्ति बनाने का कोई कसर नहीं छोड़ता।

शिक्षा, स्वास्थ्य का उचित प्रबंध -

भारत का प्रत्येक शिशु, युवक, नागरिक शिक्षित हो, कोई भारतीय अशिक्षित न रहे, इसकी व्यवस्था करता। स्कूल-कॉलिजों की पवित्र मंदिर का रूप देता। टेक्नीकल एजूकेशन शिक्षा का अनिवार्य अंग होता इसीलिए मै टेक्नीकल एजूकेशन को बढ़ावा देता। उच्च-शिक्षा का अवसर केवल योग्य और अधिकारी छात्रों को ही प्रदान करता। मैं विद्यालयों में फौजी तालीम अनिवार्य कराता और सुरक्षा की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाता। जन-स्वास्थ्य की दृष्टि से देश में डिस्पेंसरी, अस्पताल और चिकित्सा केन्द्रों को प्रोत्साहन देता। प्रदूषण से देश के पर्यावरण को नुकसान पहुचंता है इसीलिए मैं प्रदूषण को रोकने के लिए कड़ा नियम बनता | विशेष और संक्रामक रोगों के लिए विशिष्ट अस्पताल खोलता। दूर-संचार माध्यमों द्वारा जनता को स्वस्थ रहने के गुर सिखाता जिससे मेरे देश का हर नागरिक स्वस्थ रहे। प्रकृति-प्रकोप की पूर्व जानकारी देकर तथा समुचित उपाय करके राष्ट्र की हानि कम से कम होने देता। सहकारिता, परिवहन, पर्यटन को बढ़ावा देता । संचार-व्यवस्था सस्ती और चुस्त करता। दूरदर्शन और रेडियो को मनोरंजन, शिक्षा, बहुमुखी जानकारी तथा समाचार का विश्वस्तनीय केन्द्र बनाता। मेरा हर कार्य देश की सुरक्षा, विकास और उनत्ति के लिए होता।

गरीबी की समस्या -

गरीबी और बेकारी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए मैं छोटे-मोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देता। निरक्षरता दूर करने के उचित प्रबंध करता तथा भारतवासियों के स्वास्थ्य सुधार के लिए कड़ा कदम उठाता। गाँवों की प्रगति के लिए पंचायतों को विशेष अधिकार देता तथा समाज सुधारकों और ग्रामसेवकों को भी प्रोत्साहित करता। मैं सरकारी खर्च को कम करने के उपाय करता जिससे देश की आर्थिक बिगड़े नहीं। ऐसा कोई कार्य पर ध्यान देता जिससे देश के गरीब भाइयो को दो वक़्त की रोटी उन्हें मिलता तथा बेरोजगारी भाइयों के लिए रोजगार देने का कार्य करता।

जनसंख्या नियंत्रण रखता -

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के सशक्त उपाय ढूंढ़ता और लोगों को जनसँख्या रोकने के लिए जागृत करता | समाचार-पत्रों की स्वतंत्रता को पूर्ण रखता। पंचायत से लेकर संसद्‌ तक की प्रत्येक सीट का चुनाव निश्चित और निर्धारित समय पर करवाकर लोकतंत्र को स्थायित्व देता। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो प्रादेशिक सरकारों से भेद-भाव नहीं करता । देश में समान कानून होता। किसी अल्पसंख्यक, विशेष प्रदेश या वर्ग-विशेष को विशेष छूट नहीं होती ।

अंत: -

मैं भारत का प्रधानमंत्री बनकर सभी देशों के साथ सहयोग और मित्रता का व्यवहार रखता और गुटबंदी से दूर रहता। परमाणु शस्त्रों पर विश्वव्यापी प्रतिबंध लगवाने का पूर्ण प्रयत्न करता। मैं अपनी सेवा और कर्तव्य निष्ठा से देशवासियों के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता। मैं विरोधी पक्षों के दृष्टिकोण को भी समझने की पूरी कोशिश करता और देश की समस्याओं को हल करने के लिए उनका सहयोग लेता। अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को मैं उनकी योग्यता के अनुसार उचित जिम्मेदारी सौंपता। सबके प्रति मेरा व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण और निष्पक्ष होता। किसी तरह का भ्रष्टाचार मैं बर्दाश्त न करता। प्रधानमंत्री के नाते मेरा लक्ष्य देश को सुखी, समृद्ध और शक्तिशाली बनाना होता। मेरे निर्णय सदा देश के हित में मंत्रिमंडल की टीम स्थ्रिट से होते । विषम समस्या आने पर देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों, विपक्ष तथा विद्टानों से विशेष-मंत्रणा करता। उनके सामूहिक निर्णय को कार्यान्वित करता। मैं देश का ईमानदार और सचाई के राह पर चलने के लिए हर संभव प्रत्यन करता।


ADVERTISEMENT