परिवार पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - परिवार का सही अर्थ - परिवार के प्रकार - परिवार की आवश्यकता - परिवार का लाभ - परिवार में समस्या - उपसंहार।

परिवार की प्रस्तावना

जहाँ कई लोग एक दूसरे से मिलकर स्नेह और प्यार से रहते उसे परिवार कहा जाता है। जब घर में एक साथ अनेक सदस्य रहते हैं उन सदस्यों के समूह को परिवार कहते हैं। माता, पिता, पति, पत्नी और बच्चों के समूह को भी परिवार कहा जाता है। परिवार में लोग स्नेहपूर्वक, निस्वार्थ, एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना के संग रहते है। कई परिवार संयुक्त परिवार रहते है जिसके कई फायदे होते है तथा नुक्सान भी होते है। कभी कभी संयुक्त परिवार के रहते घर के रिश्तों में दरारें आ जाते है। जिसे कभी-कभी ठीक करना मुशिकल हो जाता है। परिवार का सही अर्थ

परिवार का सही अर्थ आप मकान और घर में अंतर से समझ जायेंगे। मकान केवल ईंट, रेत, सीमेंट से बनाया हुआ एक बेजान संरचना होता है। लेकिन घर एक ऐसी जगह होता है जिसमें मधुर संबंधों से संबंधित लोगों में एक दूसरे के प्रति आत्मप्रेम होती हैं। यही है परिवार का अर्थ, एक सही परिवार तभी खुशहाल रहता है जब उस परिवार में मकान नहीं घर जैसे लोग हो। कई लोग तो ईंट से बने हुए घरों में अपने परिवारों के संग खुशहाल जिंदगी व्यतीत करते है। और कई लोग तो मकान में रहते हुए भी एक दूसरे के प्रति कोई प्यार या लगाव नहीं होता है। परिवार के प्रकार

कई प्रकार के परिवार होते है तथा परिवार में सदस्यों की संख्या के आधार पर परिवार के प्रकार का वर्णन करते है । अगर परिवार में कम सदस्य होते हैं तो वह छोटा परिवार कहलाता है। अगर परिवार में अधिक सदस्य होते हैं तो वह बड़ा परिवार कहलाता है। और अगर परिवार में दो परिवारों का समूह रहता है तो वह संयुक्त परिवार कहलाता है। परिवार की आवश्यकता

परिवार समाज का एक छोटा हिस्सा होता है। माता, पिता, अगर शादी हुए रही तो पति, पत्नी और बच्चों के समूह को बनकर परिवार बनता है। एक परिवार का होना जीवन में बहुत महत्व होता है। एक बच्चा अपने परिवार की छत्र-छाया में रहकर ही बड़ा होता है तथा बड़े होकर परिवार को संभालने का योग बनता है। जहाँ पर रिश्ते बच्चे को खुशी प्रदान करते हैं वहीं पर उन्हें अपने जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाते हैं। परिवार ही बच्चे को समाज के साथ चलना सिखाता है। परिवार ही है जो इंसान को दुखत समय में उनके साथ सहारा बनकर खड़े रहते है। परिवार का महत्व

एक परिवार ही है जो जीने का बेहतर तरीका सिखाता है। परिवार ही है जो विकास के लिए अत्यधिक योगदान तथा हमारे अंदर हौसला बढ़ता है। परिवार से न्यायसंगत अर्थव्यवस्था के अनुसरण के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण अनुशासन और दूसरों के साथ सही व्यवहार करने की भावना सिखाता है। परिवार की वजह से बच्चों को एक अच्छा माहौल मिलता है तथा जीवन में सफलता पूर्वक आगे बढ़ने की ज्ञान प्राप्ति होती है। परिवार में हम हमेशा सोहार्द रहते हैं और किसी से किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं रहता है। परिवार में एक दूसरे के प्रति ख्याल की भावना बढती है और आपस में स्नेह संबंधों का विकास होता है। परिवार में समस्या

परिवार में सभी को उचित नियमों के होने की वजह से एक दूसरे के मन में एक दूसरे के प्रति दरारे आने लगते है। कभी कभी लोगों को दूसरों की कमाई पर निर्भर रहने से भाइयों के बीच झगड़ा का सम्भावना बन जाता है। परिवार ने अगर अधिक सदस्य हो तो किसी बात को लेकर एक दूसरे के प्रति भेदभाव की भावना उत्पन्न हो जाती है। उदारता की भावना , भातृतुल्य प्यार और अकेलेपन का अहसास लोगों को अपने परिवार से अलग कर देता है। जिससे परिवार में समस्या उत्पन्न कर देती है। उपसंहार

परिवार का अनुशासन, पारिवारिक स्नेह और मर्यादा, परिवार को एक खुशहाल परिवार बना देता है। एक-दुसरे के प्रति सहानुभूति की भावना ही परिवार को समाज के साथ चलना सिखाता है। जिस परिवार में एकता की भावना होती है सिर्फ उसी घर में ही सुख-शांति का निवास होता है। परिवार का होना मानव के लिए बहुत महत्वपूर्ण उदेश है। परिवार के प्रति अपने मन में सम्मान रखना तथा अपने परिवारों के संग हर खड़ी परछाई की तरह चलना यही एक महान व्यक्ति का कर्तव्य है।


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