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मेरे दादा जी का नाम अमोल झा है। वे नब्बे वर्ष के हैं। उनके बाल सफेद हो गए हैं। उनकी नजर कमजोर हो गई है। वे ऐनक लगाकर अखबार पढ़ते हैं। दादा जी हमारे परिवार के मुखिया है।
मेरे दादा जी अपने जमाने में नामी पहलवान थे। उनका शरीर आज भी बहुत मजबूत और फुर्तीला है। दादा जी रोज सवेरे जल्दी उठते हैं। वे रोज सुबह नियम से टहलने जाते हैं। वे नहा-धोकर भगवान की पूजा करते हैं। शाम को वे मंदिर जाते हैं।
दादा जी मुझे बहुत प्यार करते हैं। वे मेरे लिए फल, मिठाइयाँ और खिलौने लाते हैं।
मैं अपने दादा जी को बहुत चाहता हूँ। घर में सभी दादा जी को बहुत सम्मान और आदर करते है।
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