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छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे देश के एक महान राजा थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन १६२७ में हुआ था। उनके पिताजी का नाम शहाजी और माताजी का नाम जीजाबाई था। उनके गुरु का नाम दादाजी कोंडदेव था। इनकी माता जीजाबाई एक धार्मिक विचारों की महिला थीं। छत्रपित शिवाजी के चारित्रिक निर्माण में उनकी माता जीजाबाई का विशेष योगदान था। अपनी माँ से उन्होंने स्त्रियों और सब धर्मों का सम्मान करना सीखा।
छत्रपित शिवाजी की शिक्षा माता जीजाबाई के संरक्षण में हुई थी। माता जीजाबाई धार्मिक प्रवृत्ती की महिला थीं। इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय र्वोरात्म्पाओं की उज्जल कहानियाँ सुना और शिक्षा देकर किया था । धर्म, संस्कृति और राजनीति की भी उचित शिक्षा दिलवाई थी।
छत्रपित शिवाजी बचपन से ही मलयुद्ध, भाले बरछे, तीर तलवार, घुड़सवारी तथा बाण विद्या में प्रवीण थे। दादा कौंडदेव ने इन्हें युद्ध कौशल और शासन प्रबन्ध में निपुण कर दिया था। अपनी निर्मित सेना से उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में ही तोरण, सिंहगढ़ आदि किलों पर अधिकार जमा लिया।
छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। जैसे प्रकार आज भारत स्वाधीन तथा एक ही केन्द्रीय सत्ता के अधीन है, इसी प्रकार पूरे राष्ट्र को एक सार्वभौमिक स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता के अनन्य पुजारी वीर शिवाजी महाराज ने भी किया था। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्र सेनानी स्वीकार किया जाता है ।
शिवाजी बचपन से ही बड़े वीर और साहसी थे। शिवाजी को अन्याय से बड़ी नफरत थी। उन्होंने बीजापुर के सेनापति अफजलखाँ को हराया। वे दिल्ली के मुगल सम्राट औरंगजेब से भी लड़े। उन्होंने 'हिंदवी स्वराज्य' की स्थापना की।
तेज ज्वर के प्रकोप से ३ अप्रैल १६८० को छत्रपति शिवाजी महाराज को स्वर्गवास हो गए। इतिहास में छत्रपति शिवाजी का नाम, हिन्दु रक्षक के रूप में सदैव अमर रहेगा। इसीलिए उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर हर वर्ष शिवाजी जयंती मनाए जाते है।
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